अधिगम वक्र से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषता, प्रकार एवं महत्त्व का वर्णन करें ।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
प्रश्न – अधिगम वक्र से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषता, प्रकार एवं महत्त्व का वर्णन करें ।
(What do you understand by learning Curve ? Describe its Characteristics types and importance.)

उत्तर – जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को सीखना अथवा करता है तो उसके सीखने अथवा कार्य करने की गति हमेशा एक समान नहीं रहती है। उसके सीखने की गति कभी तेज, कभी धीमी तो कभी अत्यधिक मन्द हो जाती है। इसी प्रकार व्यक्ति कुछ कौशलों (Skills) में तो बहुत जल्दी दक्ष हो जाता है और कुछ कौशलों को सीखने में उसे बहुत अधिक कठिनाई आती है या वह उन्हें बिल्कुल भी नहीं सीख पाता, जैसे – कार चलाना, टाइपिंग आदि । यदि सीखने की इस गति को एक ग्राफ पेपर पर अंकित किया जाए तो हमें एक वक्ररेखा प्राप्त होती है तो व्यक्ति के सीखने की गति में उन्नति व अवनति का द्योतक होती है । इस वक्ररेखा को ही अधिगम वक्र या सीखने का वक्र कहा जाता है । यह वक्र यह प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति के सीखने का स्वरूप क्या है अर्थात् कब उसमें उन्नति आई, कब उसमें अवनति आई या कब उसमें मिला-जुला प्रभाव देखने को मिला ।

अधिगम वक्र को मनोवैज्ञानिकों ने निम्न प्रकार से परिभाषित करने का प्रयास किया है—

हिलगार्ड—“यह वह रेखा है जिससे अधिगम प्रक्रिया की झलक मिलती है । इस वक्र में शीर्ष रेखा पर दक्षता के माप तथा आधार रेखा पर अभ्यास के माप प्रदर्शित किए जाते हैं।

स्किनर – “अधिगम वक्र किसी क्रिया विशेष में व्यक्ति की प्रगति का ग्राफिक निरूपण  हैं।”

अधिगम वक्र की विशेषताएँ (Characteristics of Learning Curves) — अधिगम वक्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1. सामान्यत: यह देखने में आता है (यद्यपि आवश्यक नहीं) कि सीखने की क्रिया में प्रारम्भ में तेजी दिखाई देती है जो धीरे-धीरे कम होती जाती है । प्रारम्भ में तेजी से होने वाली प्रगति को प्रारम्भिक तीव्रता कहते हैं ।
  2. अधिगम वक्रों से यह स्पष्ट होता है कि सीखने में प्रगति नियमित रूप से नहीं होती है । यह कभी तीव्र और कभी बहुत धीमी होती है । ऐसा अधिकांशतः देखने को मिलता है ।
  3. अधिगम वक्र किन्हीं स्थानों पर बहुत कम प्रगति का संकेत देते हैं । इन स्थानों की सीखने के पठार कहा जाता है ।
  4. अधिगम वक्रों में कभी-कभी सीखने की गति बड़ी तीव्र दिखलाई पड़ती है। ऐसा दैनिक जीवन में भी देखने को मिलता है, उदाहरणार्थ – टेनिस खेल ।
  5. अधिगम वक्र इस ओर भी संकेत करते हैं कि सीखने की क्रिया में एक अवस्था ऐसी भी आ जाती है जिसके बाद सीखने में कोई प्रगति नहीं हो पाती । ऐसा अधिगमकर्त्ता के स्वभाव या कार्य की प्रकृति के कारण हो सकता है ।
अधिगम वक्र के प्रकार (Type of Learning Curves) — यह देखा गया है कि सीखने की गति सीखने वाले की क्षमता, उसके अभ्यास एवं दक्षता पर निर्भर करती है । इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति के सीखने की दर भी अलग-अलग होती है । सीखने की इस क्रिया में होने वाली प्रगति या अवनति को यदि हम ग्राफ पेपर पर अंकित करें तो हमें निम्न प्रकार के वक्र दिखलाई पड़ते हैं।
  1. सरल रेखीय वक्र (Straight-line curve) – इस प्रकार का वक्र सीखने की • प्रगति को लगातार बढ़ते हुए क्रम में व्यक्त करता है, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
  2. उन्नतोदर वक्र (Convex Curve) — इस प्रकार के वक्र में प्रारम्भ में सीखने की गति तीव्र होती है जो बाद में धीरे-धीरे कम होती जाती है। इस प्रकार के वक्र बनने का कारण यह होता है कि प्रारम्भ में सीखने का उत्साह अधिक होता है, बाद में शिथिलता आ आ जाती है (थकावट के कारण) और थोड़ा आराम करके सीखने की गति में फिर तेजी आ जाती है। इसे संलग्न चित्र से प्रदर्शित किया जा सकता है ।
  3. नतोदर वक्र (Con-cave Curve) — इस प्रकार के वक्र में प्रारम्भ में सीखने की गति धीमी होती है जो बाद में तीव्र हो जाती है। इस प्रकार के वक्र बनने का कारण यह होता है कि प्रारम्भ में सीखने वाला कार्य से भली-भांति परिचित नहीं हो पाया हो अथवा वह सीखने की सही विधि का चयन न कर पाया हो अथवा उस कार्य का समुचित अभ्यास न कर पाया हो । जब सीखने वाला अपने कार्य से भली-भाँति परिचित हो जाता है तो उसके सीखने में तेजी आने लगती है। इसे अग्रांकित चित्र से प्रदर्शित किया जा सकता है —
  4. मिश्रित वक्र (Mixed Curve) – मिश्रित वक्र अलग से कोई वक्र नहीं है बल्कि यह उपरोक्त दोनों उन्नतोदर व नतोदर वक्रों का मिश्रण मात्र है। इस प्रकार के वक्र में प्रारम्भ में सीखने की गति धीमी, मध्य में तीव्र तथा बाद में फिर धीमी पड़ जाती है । इसलिए इस प्रकार का वक्र ग्राफ पेपर पर अंकित करने पर अंग्रेजी के ‘S’ अक्षर जैसा दिखलाई पड़ता है । इसे निम्न चित्र से प्रदर्शित किया जा सकता है-
अधिगम वक्रों का शैक्षिक महत्त्व (Importance of Learning Curves ) – अधिगम वक्रों की शिक्षा में अनेक उपयोगिताएँ हैं, जो इस प्रकार हैं
  1. इन वक्रों के माध्यम से हम छात्र की सामान्य प्रगति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
  2. ये वक्र इस प्रकार की त्रुटियों से अवगत कराने में सहायक सिद्ध होते हैं जो छात्र की अधिगम प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती हैं ।
  3. ये वक्र अध्यापक को यह जानकारी प्रदान करते हैं कि वे समुचित सहायक सामग्री का प्रयोग कर अपने शिक्षण को किस प्रकार प्रभावी बना सकते हैं ।
  4. ये वक्र अध्यापक की इस दृष्टि से भी सहायता करते हैं कि वह छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल उचित शिक्षण विधि एवं प्रविधियों का प्रयोग करें ।
  5. ये वक्र अध्यापक को सलाह देते हैं कि उचित प्रोत्साहन एवं प्रेरणा प्रदान करने से छात्रों की प्रगति में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। साथ ही, पठारों के बनने पर भी किसी सीमा तक रोक लगाई जा सकती है ।

हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..

  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *