अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के विकास के लिए संविधान में प्रावधान का वर्णन करें ।

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प्रश्न – अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के विकास के लिए संविधान में प्रावधान का वर्णन करें ।
(Describe the constitutional Provisions for the development of SCs and STs.)

उत्तर – अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के विकास के लिए संविधान में प्रावधान—

मौलिक अधिकारों द्वारा सामाजिक समानता की व्यवस्था (Provisions of Social Equality through Fundamental Rights ) – संविधान के मौलिक अधिकारों द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों समेत सभी नागरिकों के लिए सामाजिक समानता की व्यवस्था की गई है। इसके निम्नलिखित प्रावधान हैं—

  1. अनुच्छेद 15 (1) के अनुसार राज्य, धर्म, वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के विषय में कोई भेदभाव नहीं करेगा ।
  2. अनुच्छेद 15 (2) के अनुसार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के, जैसेटिल, दुकान, कुएँ, तालाब आदि का प्रयोग करने का समान रूप से अधिकार दिया गया है।
  3. अनुच्छेद 15 (4) के अधीन अनुसूचित जातियों की शैक्षिक प्रगति के लिए विशेष प्रावधान बनाए जायेंगे ।
  4. अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता (छुआछूत) प्रथा को जो हिन्दू समाज में लम्बे समय से प्रचलित थी, समाप्त किया गया है। इसका किसी भी रूप, भाषा या व्यवहार में प्रयोग ॥ अपराध है । इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए संसद ने कई कानून बनाए हैं |
  5. संविधान के अनुच्छेद 25 (2) क के अनुसार राज्य द्वारा घोषित या राज्य निधि से सहायता पाने वाली किसी शिक्षा संस्थान में किसी नागरिक को धर्म, वंश, जाति आदि में से किसी आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा।
  6. संविधान के अनुच्छेद 25 (2) ख में व्यवस्था की गई है कि हिन्दुओं के सभी वर्गों को, जिनमें अनुसूचित जातियाँ और जनजातियाँ भी हैं, मन्दिरों में अन्य हिन्दुओं के समान ही जाने का अधिकार होगा ।
  7. अनुच्छेद 243D के अनुसार स्थानों का आरक्षण 1 (1) प्रत्येक पंचायत में—
    (क) अनुसूचित जातियों, और
    (ख) अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे और इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो उसे पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की अथवा उस पंचायत क्षेत्र में अनूसूचित जनजातियों का अनुपात उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे ।
    (2) खण्ड (1) के अधीन आरक्षित स्थानों की कुल संख्या के कम-से-कम एक-तिहाई स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे ।
    (3) प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के कम-से-कम एक-तिहाई स्थान (जिनके अन्तर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की स्त्रियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या भी है) स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे ।
  8. अनुच्छेद 244 अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन –(1) पाँचवीं अनुसूची के उपबन्ध असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों से भिन्न किसी राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियन्त्रण के लिए लागू होंगे।
    (2) छठी अनुसूची के उपबन्ध असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के लिए लागू होंगे ।
  9. अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण – ( 1 ) लोक सभा में ,
    (क) अनुसूचित जातियों के लिए
    (ख) असम के स्वशासी जिलों की अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर अन्य अनुसूचित जनजातियों के लिए, और
    (ग) असम के स्वशासी जिलों की अनुसूचित जनजातियों के लिए, स्थान आरक्षित रहेंगे ।
  10. अनुच्छेद 338 राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes and Schedules Tribes ) –(1) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक आयोग होगा जो राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के नाम से ज्ञात होगा ।
    (2) संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, आयोग एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा और इस प्रकार नियुक्त किए गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें और पदावधि ऐसी होंगी जो राष्ट्रपति नियम द्वारा अवधारित करे ।
    (3) राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित – अधिपत्र द्वारा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को नियुक्त करेगा।
    (4) आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं विनियमित करने की शक्ति होगी ।
  11. अनुच्छेद 339 अनुसूचित जातियों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियन्त्रण — (1) राष्ट्रपति, राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में प्रतिवेदन देने के लिए आयोग की नियुक्ति, आदेश द्वारा, किसी भी समय कर सकेगा और इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति रर करेगा ।
    आदेश में आयोग की संरचना, शक्तियाँ और प्रक्रिया परिनिश्चित की जा सकेंगी और उसमें ऐसे आनुषंगिक या सहायक उपबन्ध समाविष्ट हो सकेंगे जिन्हें राष्ट्रपति आवश्यक या वांछनीय समझे ।
    (2) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निर्देश देने तक होगा जो उस राज्य की अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए निर्देश में आवश्यक बताई गई स्कीमों के बनाने और निष्पादन के बारे में है |
  12. अनुच्छेद 340 पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति (Appointment of the Commission to Investigate the Condition of Backward Classes ) (1) राष्ट्रपति भारत राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उनके अन्वेषण के लिए और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो उपाय किए जाने चाहिए उनके बारे में और उस प्रयोजन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान किए जाने चाहिए और जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान किए जाने चाहिए, उनके बारे में सिफारिश करने के लिए, आदेश द्वारा, एक आयोग नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगा जो वह ठीक समझे और ऐसे आयोग को नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी ।
    (2) राष्ट्रपति, इस प्रकार दिए गए प्रतिवेदन की एक प्रति, उस पर की गई कार्यवाही को स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित, संसद के समक्ष रखवाएगा ।
  13. अनुच्छेद 341 : अनुसूचित जातियाँ–(1) राष्ट्रपति किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में और जहाँ वह राज्य है वहाँ उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचिना द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों, अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियाँ समझा जाएगा ।
    (2)
    संसद, विधि द्वारा, किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या उसमें के यूथ को खण्ड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनूसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खण्ड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चात्वर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
  14. अनुच्छेद 342 अनुसूचित जनजातियाँ (1) राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में और जहाँ वह राज्य है वहाँ उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा, उपजनजातियों या जनजाति समुदायों अथवा जनजातियों या जनजाति समुदायों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजातियाँ समझा जाएगा ।
    (2) संसद् विधि द्वारा, किसी जनजाति या जनजाति समुदाय को अथवा किसी जनजाति या जनजाति समुदाय के भाग या उसमें के यूथ को खण्ड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खण्ड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चात्वर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

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