आप वैयक्तिक निर्देशन से क्या समझते हैं ? किशोरावस्था में कौन-सी कार्यक्रम का अनुसरण करना चाहिए ?
उत्तर – व्यक्ति का जीवन जटिलतापूर्ण होने के कारण उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्यायें संवेगात्मक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में अधिक होती हैं। इन समस्याओं के कारण व्यक्ति के जीवन में समायोजन नहीं हो पाता। फलतः उसका जीवन दुखी हो जाता है । हताशा, निराशा, भय, आतंक आदि समस्यायें उसको और भी दुखी करने लगती हैं । ऐसी स्थिति में व्यक्तिगत निर्देशन उसकी सहायता करता है और उसे सामंजस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार करता है ।
निर्देशन का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में अधिकतम सम्भव सामंजस्य प्राप्त करने में सहायता करना है । व्यक्ति की कुछ समस्याएँ उसके वैयक्तिक जीवन से सम्बन्धित होती हैं, जिनके लिए समुचित निर्देशन शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन के अन्तर्गत सम्भव नहीं हो पाता । स्वास्थ्य, परिवार, संवेग और सामाजिक सामंजस्य सम्बन्धी समस्याएँ, अवकाश के उपयोग की समस्याएँ, धार्मिक समस्याएँ आदि व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार की समस्याओं के समाधान हेतु व्यक्ति की जो सहायता की जाती है वह वैयक्तिक निर्देशन कहलाती है ।
जीवन और व्यक्तित्व का विभाजन करना कठिन है। व्यक्तित्व समग्र रूप से प्रभाव ग्रहण करता है। व्यक्ति की शैक्षिक और व्यावसायिक समस्याओं पर उसकी व्यक्तिगत समस्याएँ प्रभाव डालती हैं और शैक्षिक एवं व्यावसायिक सफलता अथवा असफलता वैयक्तिक समस्याओं को प्रभावित करती हैं। इसलिए निर्देशन के प्रकार व्यक्तित्व की पूर्णता एवं जटिलता को ध्यान में रखते हुए आपस में अन्तर्सम्बन्ध स्वीकार करता है। विवेचन की सुविधा के लिए वैयक्तिक निर्देशन पर अलग से विचार करना वांछनीय होगा।
निर्देशन के प्रारूपों पर विचार करते हुए हमने देखा था कि किस प्रकार व्यक्ति के वैयक्तिक जीवन का अभिन्न सम्बन्ध सामाजिक जीवन से है। वैयक्तिक निर्देशन में समस्याओं के वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों पक्षों पर ध्यान रहता है। इस प्रकार वैयक्तिक निर्देशन का सामाजिक और नागरिक समस्याओं, स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्रियाओं, अवकाश के सदुपयोग एवं नैतिक विकास की क्रियाओं से सम्बन्ध है ।
वैयक्तिक निर्देशन के क्षेत्र में प्रमुख समस्याएँ स्वास्थ्य, संवेगात्मक समंजन, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक सामंजस्य से सम्बन्धित है। इस प्रकार वैयक्तिक निर्देशन उन पक्षों पर विशेष रूप से ध्यान देता है जिन पर शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन पर्याप्त ध्यान नहीं देता है और जो व्यक्ति की वैयक्तिक एवं सामाजिक समंजन की कठिनाइयों से सम्बन्ध होते हैं ।
वैयक्तिक निर्देशन का प्रयोजन व्यक्ति के शारीरिक, संवेगात्मक, सामाजिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास एवं समायोजन में सहायता करना है। बालकों के स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास के लिए संगठित ढंग से खेलों की व्यवस्था होनी चाहिए। भावात्मक विकास के लिए उन्हें आत्माभिव्यक्ति के अवसर प्रदान किये जाने चाहिए । सामाजिक विकास के लिए बालकों को एक-दूसरे से खुलकर सम्पर्क करना सिखाया जाय । वैयक्तिक निर्देशन की सामान्य समस्याओं पर विचार कर लेना वैयक्तिक निर्देशन के क्षेत्र को समझने के लिए वांछनीय होगा ।
निर्देशन के क्षेत्र में शोध करने वाले विद्वानों ने युवकों की समस्याओं का व्यापक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने जीवन में प्राय: उपस्थित होने वाली समस्याओं का वर्गीकरण शैक्षिक, व्यावसायिक एवं वैयक्तिक क्षेत्रों के अन्तर्गत किया है । मूनी (रास एल. मूनी) एवं रेमर्स (एच. एच. रेमर्स) आदि के अध्ययन के आधार पर व्यक्तिगत समस्याओं को सात वर्गों में रखा जा सकता है—
- स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास सम्बन्धी समस्याएँ (Problems Related to Physical Health and Constitutional Development) — वैयक्तिक समस्याओं में स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास सम्बन्धी समस्याएँ प्रमुख हैं। किसी रोग या शारीरिक कमजोरी के निदान के लिए व्यक्ति को डाक्टर से निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है ।
- सामाजिक सम्बन्धों से जुड़ी हुई समस्याएँ (Problems Related to Social Relationship)—सामाजिक समायोजन में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयाँ इस वर्ग के अन्तर्गत आती हैं। व्यक्ति किस सीमा तक सामाजिक, नागरिक एवं मनोरंजन के कार्यों में भाग लेता है, किस प्रकार के व्यक्तियों में वह रुचि प्रदर्शित करता है एवं किस प्रकार के व्यक्तियों से उसे अरुचि है, सामाजिक सम्बन्धों में कहाँ तक अपने व्यवहार को सन्तोषप्रद पाता है आदि समस्याएँ इस वर्ग के अन्तर्गत आती है ।
- संवेगात्मक व्यवहार से सम्बन्धित समस्याएँ (Problems Related to Emotional Behaviour) — वैयक्तिक समस्याओं में संवेगात्मक समस्याएँ अपेक्षाकृत जटिल होती हैं और व्यक्ति के जीवन के अन्य पक्षों पर इनका बड़ा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्ति की संवेगात्मक अभिव्यक्ति एवं प्रतिक्रिया कैसी होती हैं, संवेगात्मक स्थिरता एवं आत्म-विश्वास इत्यादि की समस्याएँ इस वर्ग में आती है ।
- पारिवारिक जीवन एवं पारिवारिक सम्बन्धों से सम्बन्धित समस्याएँ (Problems Related to Home and Family Relationship ) — पारिवारिक स्थिति का व्यक्ति के जीवन-निर्ताण में महत्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति के माता-पिता, भाई-बहन तथा घर के अन्य • सम्बन्धियों के साथ सम्बन्धों का स्वरूप कैसा है, उनसे उत्पन्न होने वाली समस्याँ पारिवारिक समस्याओं में आती हैं ।
- यौन, प्रेम एवं विवाह सम्बन्धी समस्याएँ (Problems Related to Sex, Courtship and Marriage ) — जीवन में काम का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है । कामजीवन की असफलता एवं यौन जीवन की विषमताएँ, इनसे सम्बन्धित अनभिज्ञाताएँ उचित निर्देशन की अपेक्षा रखती हैं ।
- आर्थिक समस्याएँ (Financial Problems ) – धन व्यक्ति के जीवन की सफलता का महत्वपूर्ण साधन है । आर्थिक समस्याओं के निराकरण के लिए समुचित निर्देशन की अपेक्षा होती है। धन का अभाव, सन्तोषजनक आर्थिक जीवन के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों से सम्बन्धित समस्याएँ आर्थिक समस्याओं के वर्ग में रखी जा सकती है ।
- धर्म, चरित्र, आदर्श और मूल्यों से सम्बन्धित समस्याएँ (Problems Related to Religion, Morals, Ideals and Values ) — मनुष्य की प्रकृति आध्यात्मिक है । बदलते हुए सामाजिक परिवेश में धर्म, चरित्र, आदर्श एवं मूल्यों की समस्याएँ भी व्यक्ति के सामने आती है । इस प्रकार की समस्याओं को इस वर्ग के अन्तर्गत लिया जा सकता है |
वैयक्तिक निर्देशन के आधारभूत सिद्धान्त वही हैं जो सामान्य निर्देशन के हैं । इन सिद्धान्तों का व्यापक विवेचन पिछले अध्यायों में किया गया है । वैयक्तिक निर्देशन प्रदान करते समय परामर्शदाता का ध्यान निम्नांकित तथ्यों पर अवश्य रहना चाहिए –
- व्यक्तित्व अखण्डित एवं जटिल होता है
- व्यक्ति की अनेक समस्याओं में अन्तर्सम्बन्ध विद्यमान रहता है ।
- वैयक्तिक समस्याओं का जन्म प्रत्यक्ष या परोक्ष कारणों से होता है । परामर्शदाता को केवल लक्षणों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाहिए अपितु समस्या के मूल कारणों का पता लगाकर निर्देशन प्रदान करना चाहिए ।
- वैयक्तिक समस्याओं के साथ संवेगात्मक पहलू भी होता है ।
- व्यक्ति की समस्या एवं समस्या के समाधान के प्रति निजी धारणा समस्या के समाधान का हल खोजने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है ।
- व्यक्ति को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपनी अन्तर्दृष्टि विकसित करनी चाहिए ।
किशोरावस्था में निर्देशन – हाई स्कूल स्तर पर आने वाले छात्र या तो किशोरावस्था की दहलीज पर होते हैं या उसमें प्रवेश कर चुके होते हैं। उनकी आवश्यकताओं एवं रुचियों को दृष्टि में रखते हुए इस स्तर पर वैयक्तिक निर्देशन का स्वरूप निर्धारित किया जा सकता है । इस स्तर पर सामंजस्य की समस्याएँ अपेक्षाकृत जटिल होती हैं । वैयक्तिक निर्देशन छात्रों को परिवेश में समुचित सामंजस्य प्राप्त करने में सहायता कर सकता है ।
हाई स्कूल स्तर पर छात्रों में इस भावना का विकास किया जाना चाहिए कि समस्याएँ सभी के सम्मुख आती हैं, समस्याओं की प्रकृति का समझना एवं उनका समाधान खोजने की प्रवृत्ति छात्रों में विकसित करने में वैयक्तिक निर्देशन छात्रों की मदद कर सकता है ।
किशोरावस्था में शरीर में विचित्र एवं तीव्र गति से होने वाले परिवर्तन किशोरों में चिन्ता उत्पन्न करते हैं। विपरीत लिंगी व्यक्तियों के प्रति उनका आकर्षण स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। किशोरावस्था में सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश के अनुरूप यौन समस्याओं में निर्देशन की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वे किशोरावस्था के परिवर्तनों और विकास से उत्पन्न समस्याओं को साहस औरर धैर्य से सुलझा सकें ।
किशोरों के लिए स्वस्थ मनोरंजन की व्यवस्था की जा सकती है, उनमें उचित निर्देशन से परिपक्वता एवं अच्छी नागरिकता के गुणों का विकास किया जाना चाहिए। उन्हें आत्म-विश्वास उत्पन्न करने एवं अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए उत्साहित किया जाय ।
छात्रों के नैतिक एवं सामाजिक विकास की दृष्टि से हाई स्कूल स्तर पर वैयक्तिक निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है। सामुदायिक सेवा कार्यों एवं सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना के विकास के लिए उन्हें जन-सेवा के कार्यों में लगाया जाना चाहिए । इस स्तर पर छात्रों की समस्याएँ बहुमुखी होती हैं । अतः व्यापक निर्देशन सेवाएँ भी उन्हें सुलभ करायी जायें ।
माध्यमिक विद्यालयों में युवकों की समस्याओं के इस विस्तार को ध्यान में रखते हुए उन्हें निर्देशन प्रदान किया जाय । उनकी व्यावसायिक, शैक्षिक एवं सामाजिक सम्बन्धों की समस्याओं के अन्तर्सम्बन्ध पर दृष्टि रखते हुए अभिभावकों, अध्यापकों एवं निर्देशन कर्मचारियों को सहयोगपूर्वक माध्यमिक स्तर के छात्रों को निर्देशन प्रदन करने की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here