ओम के नियम को लिखें एवं सत्यापित करें।
प्रश्न – ओम के नियम को लिखें एवं सत्यापित करें।
उत्तर – अचर ताप पर किसी चालक से प्रवाहित होनेवाली विद्युतधारा चालक के सिरों के बीच के विभवांतर का सीधा समानुपाती होता है।
प्रायोगिक सत्यापन: एक आसान से प्रयोग की सहायता से ओम के नियमों को सत्यापित किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक परिपथ को चित्र में दिखलाया गया है। कई सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़कर एक बैट्री तैयार की जाती है जिसके समानान्तर एक रियोस्टेट Rh लगाया हुआ है। यह पूरी व्यवस्था विभव पात के नाम से जानी जाती है, जिससे मनचाहा वि。वा० बल मुख्य परिपथ पर आरोपित किया जा सकता है। इसके कारण बल्ब B तथा धारा नियंत्रक प्रतिरोध R पर लगते विभवान्तर को मापने के लिए उनके समानान्तर एक वोल्टमीटर (V) भी लगा दिया जाता है। परिपथ में लगा ऐमीटर प्रवाहित धारा (I) का मान बतलाता है। कुंजी K को बन्द करते परिपथ से धारा बहने लगती है। जब रियोस्टेट के परिवर्तनशील टर्मिनल को A के निकट रखते हैं तो परिपथ पर लगता विभवान्तर छोटा होता है। उसे जैसे-जैसे B की ओर खिसकाते हैं आरोपित विभवांतर का मान बढ़ता है और उसी के साथ प्रवाहित धारा भी बढ़ती जाती है। अलग-अलग विभवान्तर और संगत के धारा का मान क्रमश: वोल्मीटर तथा ऐमीटर से नोट कर लेते हैं। इस प्रकार रियोस्टेट की सहायता से V तथा I के कई जोड़े पठन प्राप्त कर लिये जाते हैं जिन्हें क्रमश: X तथा Y-अक्ष के अनु रखते हुए एक ग्राफ खींचा जाता है। पाया जाता है कि यह ग्राफ एक सरल रेखा के रूप में मिलता है जो बतलाता है कि V ∝ I इस प्रकार ओम के नियम का सत्यापन हो जाता है।
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