धारणा को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें ।

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प्रश्न – धारणा को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें ।
(Discuss the factors influencing retention.)
उत्तर- धारण वास्तव में स्मृति या स्मरण की दूसरी अवस्था है, जिसमें स्मृति चिह्नों का निर्माण होता है। जब तक ये स्मृति चिह्न सुरक्षित रहते हैं तब तक सीखे गए अथवा याद किए गए विषय की स्मृति कायम रहती है। इसके विपरीत जैसे-जैसे स्मृति चिह्न दुर्बल होते जाते हैं, अर्थात् धारणा कमजोर होती जाती है, वैसे-वैसे उस विषय का विस्मरण होता जाता है । अब समस्या यह है कि स्मृति चिह्न अर्थात् धारणा को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं । इस सम्बन्ध में किए अध्ययनों से निम्नलिखित कारकों या निर्धारकों का पता चला है—
  1. मस्तिष्क की रचना (Composition of the brain) — किसी विषय की धारणा पर व्यक्ति के मस्तिष्क की रचना का प्रभाव पड़ता है। मस्तिष्क की रचना जटिल होने पर धारणा प्रबल होती है और मस्तिष्क की बनावट सरल होने पर धारण कमजोर होती है। पशु की उपेक्षा मनुष्य के मस्तिष्क की बनावट काफी जटिल है। इसलिए, किसी चीज की धारणा • मनुष्य में अधिक प्रबल तथा टिकाऊ होती है। किसी विषय को सीखने के बाद पशु उसे जल्दी भूल जाता है अर्थात् उस विषय के स्मृति चिह्न मिट जाते हैं, परन्तु, मनुष्य किसी सीखे गए विषय को अधिक दिनों तक याद रखता है अर्थात् उसके स्मृति चिह्न सुरक्षित रहते हैं । मनुष्य में भी अन्य बातें समान रहने पर जिस व्यक्ति के मस्तिष्क की बनावट जितनी ही अधिक जटिल होती है, उसमें धारणा उतनी ही अधिक प्रबल होती है ।
  2. आयु (Age) — बढ़ती हुई आयु के साथ एक विशेष सीमा तक धारणा प्रबल बनती जाती है। बच्चे की अपेक्षा व्यस्कों में धारा – शक्ति अधिक होती है । इसका कारण यह है कि उसकी उम्र बढ़ने से मस्तिष्क का विकास होता है और इसकी जटिलता में वृद्धि होती है । परन्तु, अधिक आयु हो जाने पर मानसिक ह्रास के कारण धारणा कमजोर होने लगती है ।
  3. यौन ( Sex ) – धारण क्रिया पर यौन का भी असर पड़ता है। अन्य बातें समान रहने पर लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की धारणा अधिक प्रबल होती है। कारण, लड़कियों में परिपक्वता गति अधिक तेज होती है इसलिए, समान आयु रहने पर भी लड़कियों में परिपक्वता की मात्रा अधिक होने के कारण उनकी धारणा अपेक्षाकृत सबल बन जाती है ।
  4. बुद्धि (Intelligence) — धारण – क्रिया पर व्यक्ति की बुद्धि का प्रभाव पड़ता है। अन्य बातें समान रहने पर तीव्र बुद्धि के व्यक्ति की धारणा मन्द बुद्धि के व्यक्ति की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है । तीव्र बुद्धि का व्यक्ति किसी विषय को जल्दी सीखता है, अधिक दिनों तक याद रखता है तथा समय पर उसका प्रत्यावाह्न करने में सफल होता है। दूसरी ओर मन्द बुद्धि का व्यक्ति किसी विषय को देर से सीखता है, और अधिक दिनों तक याद नहीं रख पाता है। फिर भी, धारणा तथा बुद्धि के बीच कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है ।
  5. स्वास्थ्य (Health) — धारणा पर व्यक्ति के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है । स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर आवश्यक है । शारीरिक अस्वस्थता के कारण मस्तिष्क में स्मृति चिह्न कमजोर बनते हैं, जिससे सीखे गए विषय की धारणा दुर्बल हो जाती है। इसी तरह, मानसिक अस्वस्थता के कारण स्मृति-विकृतियाँ विकसित हो जाती है। जो व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक स्तरों पर स्वस्थ होता है, उसके मस्तिष्क में • स्मृति चिह्न गहरे तथा स्पष्ट बनते हैं। इसलिए, सीखे गए विषय की धारणा प्रबल होती है।
  6. प्रेरणा एवं अभिरुचि ( Motivation and interest ) – सीखने या याद करने की प्रेरणा अधिक होने पर धारणा प्रबल बन जाती है। कारण, व्यक्ति रुचि के साथ उस विषय को समझने तथा सीखने का प्रयास करता है, जिससे स्मृति चिह्न सबल तथा मजबूत बन जाते हैं | प्रेरणा के अभाव में स्मृति चिह्न दुर्बल बनते हैं, जिससे धारणा कमजोर हो जाती है । इसी प्रकार, जिस विषय में हमारी रुचि अधिक होती है, उसकी धारणा अधिक प्रबल होती है, क्योंकि उस विषय को हम अधिक मन लगाकर सीखते हैं, जिससे स्मृति चिह्न अधिक गहरे तथा स्पष्ट बनते हैं ।
  7. सीखने की मात्रा (Amount of Learning) – धारण क्रिया पर सीखने की मात्रा का भी प्रभाव पड़ता है। सीखने की मात्रा बढ़ने से धारणा की प्रबलता बढ़ती है । कारण, जिस विषय को जितनी ही अधिक मात्रा में सीखा जाता है, उसके स्मृति चिह्न उतने ही स्पष्ट एवं गहरे बनते हैं। दो ऐसे बालक जो आयु, बुद्धि, आदि से समान हों, किसी कविता को क्रमशः 25 मिनट तथा 50 मिनट तक सीखे तो पहले बालक की अपेक्षा दूसरे बालक में उस कविता की धारणा अधिक प्रबल होगी ।
  8. विषय का स्वरूप (Nature of learning material) — सार्थक विषय की अपेक्षा निरर्थक विषय की धारणा कमजोर होती है । निरर्थक पदों को सीखने में अधिक समय लगता है, अधिक कठिनाई महससू होती है और धारणा इतनी कमजोर होती है कि व्यक्ति उन पदों को जल्दी भूल जाता है। दूसरी ओर सार्थक शब्दों को सीखने में कम समय लगता है, कठिनाई कम महसूस होती है, और धारणा इतनी प्रबल होती है कि व्यक्ति उन शब्दों को अधिक दिनों तक याद रखता है। कारण, सार्थक शब्दों को याद करने में पूर्वअनुभव एवं पूर्वसाहचर्य सहायक होते हैं, जिससे स्मृति चिह्न प्रबल बनते हैं। परन्तु, निरर्थक विषय को सीखते समय पूर्वअनुभव एवं साहचर्य सहायक नहीं होते हैं । इसलिए, स्मृति चिह्न क्षीण बनते हैं।
  9. विषय की लम्बाई (Length of material) — छोटे विषय की अपेक्षा लम्बे विषय की धारणा अधिक प्रबल होती है। कारण, छोटे विषय का सीखते समय अधिक दुहराने की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए स्मृति चिह्न कमजोर तथा अस्पष्ट बनते हैं। धारणा दुर्बल हो जाती है। दूसरी ओर लम्बे विषय को सीखने के लिए उसे अधिक बार दुहराना पड़ता है, जिससे स्मृति चिह्न सबल बनते हैं। इसलिए, धारणा प्रबल बन जाती है ।
  10. सीखने की विधि (Method of learning) – किसी विषय को सीखने की विधि का प्रभाव धारणा पर पड़ता है। सीखने की अनेक विधियाँ है— विराम-विधि तथा अविराम-विधि, पूर्ण-विधि तथा अंश – विधि, साभिप्राय-विधि तथा प्रासंगिक-विधि, इत्यादि । सभी विधियों की व्याख्या शिक्षण के अध्ययन में पहले ही की जा चुकी है। यहाँ हम केवल इतना कहना चाहेंगे कि अविराम-विधि की अपेक्षा विराम-विधि से, और प्रासंगिक – विधि की अपेक्षा साभिप्राय – विधि से सीखने पर धारणा अधिक प्रबल होती है। जहाँ तक अंश-विधि तथा पूर्ण विधि का प्रश्न है, अधिकांश परिस्थितियों में अंश-विधि से सीखने पर धारणा अधिक प्रबल होती है।
  11. पृष्ठोन्मुख अवरोध (Retroactive inhibition ) – एक विषय को सीखने के बाद जब व्यक्ति दूसरा विषय सीखने लगता है तो दूसरे विषय का वाधक प्रभाव पहले विषय की धारणा पर पड़ता है । इसी वाधक प्रभाव को पृष्ठोन्मुख अवरोध कहते हैं । यह वाधक प्रभाव किस रूप में पड़ता है, इस सम्बन्ध में मनोवैज्ञानिकों के बीच मतभेद है । इसी मतभेद के कारण पृष्ठोन्मुख अवरोध के कई सिद्धान्त विकसित हुए हैं, जिनकी पूर्ण व्याख्या आगे विस्मरण के प्रसंग में की जाएगी ।

स्पष्ट हुआ कि धारणा को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं। धारणा के बाद स्मरण में सन्निहित प्रक्रियाएँ तीन हैं— प्रत्यावाह्न, पहचानना तथा पुनः सीखना । ये तीनों प्रक्रियाएँ वास्तव में धारणा की जाँच या मापक हैं । अतः, इनकी व्याख्या यहाँ मापक के रूप में की जाएगी ।

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