नारी समानता हेतु विशेष शैक्षिक प्रावधान / योजनाओं की विवेचना करें ।
- ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड : महिला शिक्षा की विशेष योजनाएँ – शिक्षा विभाग की विद्यमान योजनाओं के अधीन महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड योजना के अधीन संशोधित नीति निर्धारण में एक शर्त यह है कि भविष्य में नियुक्त किए जाने वाले शिक्षकों में 50 प्रतिशत महिलाएँ होनी चाहिए ।
- छात्रावास योजना — छात्रावासों के निर्माण की योजना का संचालन इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि अधिक से अधिक बालिकाएँ माध्यमिक शिक्षा से लाभ उठा सकें ।
- अनौपचारिक बालिका शिक्षा केन्द्र – मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अनौपचारिक शिक्षा योजना के अधीन ऐसे अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों को जो केवल बालिकाओं के लिए हैं, 90 प्रतिशत सहायता दी जाती है । बालिकाओं के अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों का संचित योग 1.18 लाख है। केन्द्रों की कुल संख्या 2,41 लाख है । “
- नवोदय विद्यालयों में लड़कियाँ–प्रभावी कार्यवाही से नवोदय विद्यालयों में बालिकाओं का दाखिला लगभग 31 प्रतिशत तक सुनिश्चित हो गया है ।
- महिला साक्षरता अभियान – पूर्ण साक्षरता अभियानों में महिलाओं को पूर्ण अधिकार देने के उद्देश्य पर विशेष ध्यान दिया गया है। चूँकि देश में महिला साक्षरता दर पुरुषों से काफी कम है, अतः ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्ण साक्षरता अभियानों के अन्तर्गत महिला अध्येता पुरुष अध्येताओं को पीछे छोड़ जाएँगे । अब तक वंचित वर्गों को अधिकार देने के सम्बन्ध में सामाजिक जागरूकता महत्त्वपूर्ण है, जैसा कि कुछ जिलों में निर्माण सम्बन्धी कार्य करने वालों को उचित वेतन के सीधे भुगतान, शराब की दुकानें बन्द करने, सभी अभियान – जिलों में नामांकन की माँग में वृद्धि आदि जैसे कुछ आन्दोलनों/गतिविधियों में पाया गया है। यह मुख्यतः महिलाओं की शिक्षा की वजह से हुआ है। प्रौढ़ शिक्षा और उत्तर साक्षरता शिक्षा केन्द्रों में महिलाओं के नामांकन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- महिला उच्च शिक्षा – उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सामान्य और तकनीकी दोनों दृष्टियों से महिलाओं के लिए शैक्षिक अवसरों में असाधारण/अद्भूत विस्तार हुआ है। विश्वविद्यालय और कॉलेज स्तरों पर महिला शिक्षा में विविधता आई है और समाज, उद्योग और व्यापार की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार उसका प्रबोधन किया गया है ।
- महिला अध्ययन–विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयों को महिला अध्ययन में अनुसन्धान की सु- परिभाषित परियोजनाएँ आरम्भ करने और अवर स्नातक और सुस्नातकोत्तर स्तरों पर पाठ्यचर्या के विकास तथा सम्बद्ध विस्तार क्रियाकलापों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। आयोग ने सामाजिक विज्ञान तथा इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी सहित विज्ञान और मानविकी में महिला उम्मीदवारों के लिए अंशकालिक रिसर्च एसोशिएटशिप के अनेक पदों का भी सृजन किया है।
- महिला समाख्या – महिलाओं की समानता हेतु शिक्षा (Mahila Samakhya— Education for Women’s Equality)— 1989 में शुरू हुआ महिला समाख्या कार्यक्रम ( महिलाओं की समानता हेतु शिक्षा) और उनके सशक्तिकरण हेतु एक ठोस कार्यक्रम है । यह योजना नौ राज्यों के 65 जिलों के लगभग 16,000 गाँवों में चलाई जा रही हैं । ये राज्य हैं आन्ध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड ।
योजनाके उद्देश्य –
- महिलाओं की छवि और उनके आत्मविश्वास को मजबूत करना,
- ऐसा वातावरण तैयार करना जहाँ महिलाओं को वे सूचनाएँ और ज्ञान प्राप्त हो सकें जो उन्हें समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने की शक्ति दे ।
- महिला संघों से गाँवों की शैक्षणिक गतिविधियों की सक्रियतापूर्वक निगरानी और मूल्यांकन का काम लेना ।
- विकेन्द्रीकृत और सहभागितापूर्ण प्रबन्ध का गठन करना ।
- औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी बढ़ाना है |
महिला संघ ऐसे केन्द्र बिन्दु हैं, जहाँ समस्त गतिविधियों की योजना तैयार की जाती है और यहाँ महिलाएँ मिल-बैठकर अपनी समस्याओं पर चर्या करती हैं। संघ के लिए निर्धारित धन बैंक या डाकघर के खाते में जमा कराया जा सकता है। इसका तीन वर्ष के अन्दर सामूहिक कार्यों के लिए महिलाएँ सदुपयोग कर सकती हैं। सहयोगिनियाँ 10 गाँवों के समूह : की देखभाल करते हैं और प्रेरणादायक, समर्थक और पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करती हैं ।महिला समास्या की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह रही है कि इससे आधारभूत स्तर पर महिला सशक्तिकरण की नींव डाली जा सकी है और ग्रामीण महिलाओं के स्वरूप में एक परिवर्तन देखने को मिला है। कानूनी जागरूकता कार्यक्रम के फलस्वरूप नारी अदालतों का जन्म हुआ है। नारी अदालतें मुखरित और प्रभावकारी अनौपचारिक अदालतों के रूप में उभरी हैं। इन्हें लोगों की ओर से मान्यता और सम्मान दोनों मिला है। महिला शिक्षण केन्द्रों को विशेष रूप से नए सघन गुणवत्ता पाठ्यक्रम और दक्षता विकास कार्यक्रमों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि यहाँ महिलाएँ और किशोरियाँ अपनी शिक्षा जारी रख सकें और जीवन का हुनर सीख सकें।
- महिला निरीक्षिका–कार्यवाही योजना (1992) में शिक्षा के कार्यक्रमों के निरीक्षण के लिए महिला कक्ष की स्थापना करने की व्यवस्था है। इस उद्देश्य के लिए शिक्षा विभाग, भारत सरकार के आयोजना ब्यूरो में एक कक्ष पहले ही स्थापित किया जा चुका है ।
- योजना तन्त्र — कार्यवाही योजना 1992 के कार्यान्वयन की पुनरीक्षा करने, बालिकाओं की शिक्षा से सम्बद्ध नीतियों और कार्यक्रमों पर सरकार को सलाह देने और अनिवार्य सहायक सेवा के प्रावधान, जिससे शिक्षा में बालिकाओं और महिलाओं की सहभागिता बढ़ेगी, को सुनिश्चित करने के लिए और आयोजना तन्त्र को गति देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षा के वास्ते एक उच्चस्तरीय अन्तर मंत्रालय समिति की भी व्यवस्था की है। ऐसी समिति को विधिवत् गठित किया गया है। लगभग सभी राज्यों में यह समितियाँ गठित की गई हैं ।
- नारी शिक्षा एवं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्-रा. शै. अ. प्र. प. ने महिला शिक्षा पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं –
- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना – इस योजना के अन्तर्गत मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर पर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों की बालिकाओं के लिए दुर्गम क्षेत्रों में आवासीय सुविधाओं के साथ 750 विद्यालयों की व्यवस्था की गई है । यह योजना शैक्षिक रूप से पिछड़े विकास खण्डों में चलाई जा रही है जहाँ महिला साक्षरता की दर राष्ट्रीय औसत से कम है तथा ‘लिंग’ भेदभाव अधिक है।
महिला साक्षरता के विशेष हस्तक्षेप – 2001 की जनगणना के अनुसार देश के 47 जिलों में महिला साक्षरता दर 30 प्रतिशत से नीचे है इसलिए राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के लिए इतनी कम महिला साक्षरता दर एक चिन्ता का विषय है। इस बात को ध्यान में रखते हुए 47 जिलों में नीची महिला साक्षरता दर में सुधार का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इनमें से अधिकांश जिले उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, और झारखण्ड जैसे राज्यों में हैं। इन जिलों में महिला साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रवर्तित कार्यक्रम शुरू किए गए हैं । उत्तर प्रदेश और बिहार में यह कार्यक्रम पूरा हो चुका है और इसका मूल्यांकन भी किया जा चुका है ।
उड़ीसा में नौ जिलों में महिला साक्षरता दर काफी कम है। इन जिलों को एक विशेष परियोजना के तहत त्वरित साक्षरता कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत 15 से 35 वर्ष आयु के करीब (10,43,000) दस लाख तैंतालिस हजार महिलाओं को साक्षर बनाने का कार्य 117 स्वयंसेवी संगठनों के नेटवर्क को सौंपा गया। इस कार्यक्रम का बाह्य मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है।
विशिष्ट महिला साक्षरता कार्यक्रम झारखण्ड के उन पाँच जिलों में भी लागू किया जा रहा है जहाँ महिला साक्षरता दर बहुत कम है। इन जिलों की 15 से 35 वर्ष आयु वर्ग की करीब पाँच लाख महिलाओं को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया। यह कार्यक्रम भी लगभग पूरा हो चुका है। केवल दो जिलों में बाह्य मूल्यांकन का काम बाकी है ।
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