निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।

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प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। 
(क) इस संसार में धन ही सबकुछ नहीं है। धन की पूजा तो बहुत कम जगहों में होती देखी गई है। संसार का इतिहास उठाकर देखिए और उदाहरण ढूंढ-ढूँढ़कर सामने रखिए, तो आपको विदित हो जाएगा कि जिनकी हम उपासना करते हैं, जिनके लिए हम आँखें बिछाने तक को तैयार रहते हैं, जिनकी स्मृति तरोताजा रखने के लिए हम अनेक तरह के स्मारक चिह्न बनाकर खड़े करते हैं, उन्होंने रुपया कमाने में अपना समय नहीं बिताया था, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी महत्ता हम रुपए से अधिक मूल्यवान समझते हैं। जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है। अधिकांश अवस्थाओं में उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं। ” उन्होंने जन्म लिया, रुपया कमाया और परलोक की यात्रा की। किसी ने जाना तक नहीं कि वे कौन थे और कहाँ गए। मानव समाज स्वार्थी अवश्य है, पर वह स्वार्थ की उपासना करना नहीं जानता। अंत में वे ही पूजे जाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन को अर्पित करते समय सच्चे मनुष्यत्व का परिचय दिया है।
(i) संसार में किस प्रकार के मनुष्य की पूजा होती है ?
 (ii) किनकी प्रतिष्ठा कम हुई है ?
(iii) कैसे व्यक्ति की समाज उपासना करता है ?
(iv) संसार में धन के पुजारियों की क्या गति होती है?
 (v) इस गद्यांश का उचित शीर्षक दें।
(ख) भारत में हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य देश को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाना था। इस बात की आशंका किसी को नहीं थी कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल न सिर्फ खेतों में, बल्कि खेतों से बाहर मंडियों तक में होने लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग खाद्यान्न की गुणवत्ता के लिए सही नहीं है, लेकिन जिस रफ्तार से देश की आबादी बढ़ रही है, उसके मद्देनजर फसलों की अधिक पैदावार जरूरी थी । समस्या सिर्फ रासायनिक खादों के प्रयोग की ही नहीं है। देश के ज्यादातर किसान परंपरागत कृषि से दूर होते जा रहे हैं। दो दशक पहले तक हर किसान के यहाँ गाय, बैल और भैंस खूटों से बँधे मिलते थे। अब इन मवेशियों की जगह ट्रैक्टर-ट्रॉली ने ले ली है। परिणामस्वरूप गोबर और घूरे की राख से बनी कंपोसट खाद खेतों में गिरनी बंद हो गई। पहले चैत-वैशाख में गेहूँ की फसल कटने के बाद किसान अपने खेतों में गोबर, राख और पत्तों से बनी जैविक खाद डालते थे। इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती थी, बल्कि इससे किसानों को आर्थिक लाभ के अलावा बेहतर गुणवत्ता वाली फसल भी मिलती थी ।
(i) हमारे देश में हरित क्रांति का उद्देश्य क्या था ?
(ii) खाद्यान्नों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किनका प्रयोग सही नहीं था ?
 (iii) विशेषज्ञ हरित क्रांति की सफलता के लिए क्या आवश्यक मानने लगे और क्यों?
(iv) हरित क्रांति ने किसानों को परम्परागत कृषि से किस तरह दूर कर दिया ?
 (v) जैविक खाद का मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर क्या असर पड़ता है ?
उत्तर –
(क) (i) संसार में उस प्रकार के मनुष्य की पूजा होती है जिन्होंने अपने जीवन को अर्पित करते समय सच्चे मनुष्यत्व का परिचय दिया है।
(ii) जिन लोगों के जीवन का उद्देश्य केवल रुपया बटोरना है, उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है।
 (iii) स्वार्थी व्यक्ति की समाज उपासना करता है।
(iv) संसार में धन के पुजारियों की गति धीमी होती है।
 (v) इस गद्यांश का उचित शीर्षक है- -धन की पूजा
(ख) (i) हमारे देश में हरित क्रांति का उद्देश्य देश को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाना था।
 (ii) रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग खाद्यान्न की गुणवत्ता के लिए प्रयोग सही नहीं था।
(iii) विशेषज्ञ हरित क्रांति की सफलता के लिए जैविक खाद आवश्यक मानने लगा क्योंकि इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है।
(iv) अधिक पैदावार के लिए किसानों को परम्परागत कृषि से दूर होना पड़ा।
 (v) जैविक खाद का मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर अच्छा पड़ता है। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है।

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