निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।
प्रश्न – निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा।
(क) अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इनमें वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्त्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग सेवा की भावना आदि नियम महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रक गुणों में अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि बाल्यावस्था में ही किया जाए तो वह अपने देश का सर्वश्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायी होती है, समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किंतु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है। अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी के व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्त्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है उसी तरह देश के प्रति भी उसका व्यवहार कर्त्तव्य, अधिकार की भावना से भावित रहना चाहिए। उसका कर्त्तव्य हो जाता है कि न तो वह स्वयं ऐसा काम करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे देश के सम्मान, सम्पत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे। समाज एवं देश में शांति बनाए रखने के लिए धार्मिक सहिष्णुता भी बहुत आवश्यक है। यह वृत्ति तभी आ सकती है जब व्यक्ति संतुलित व्यक्तित्व का हो ।
(i) समाज एवं राष्ट्रहित में नागरिक के लिए कैसे गुणों की अपेक्षा की जाती है?
(ii) चारित्रिक गुण किसी व्यक्ति के निजी जीवन में किस प्रकार उपयोगी हो सकते हैं?
(iii) वाणी और व्यवहार की मधुरता सबके लिए सुखदायक क्यों मानी गयी है?
(iv) मधुर वाणी और शिष्ट व्यवहार कौन कर सकता है, कौन नहीं और क्यों ?
(v) देश के प्रति व्यक्ति का व्यवहार और कर्त्तव्य कैसा होना चाहिए ?
अथवा,
(ख) साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर और बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीवन का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल समझकर मद्धिम बनाते हैं।
साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, पर वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। अर्नाल्ड बेनेट ने लिखा है- ‘जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी की चुनौती को कुबूल नहीं कर सकता, वह सुखी नहीं हो सकता। जिंदगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम को झेलना है और जो आदमी सकुशल जीने के लिए जोखिम का हर जगह घेरा डालता है, वह अंततः अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और जिंदगी का कोई मजा उसे नहीं मिल पाता, क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में, असल में जिन्दगी को ही आने से रोक रखा है। जिंदगी से अंत में हम उतना ही पाते हैं जितनी कि उसमें पूँजी लगाते हैं। पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों से सामना करना है, उसके उस पन्ने को पलटकर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से नहीं कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। ‘
(i) साहस की जिन्दगी कैसी होती है ?
(ii) गद्यांश के आधार पर क्रांति करने वालों तथा जनसाधारण में अंतर लिखिए।
(iii) ‘साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता’ का क्या तात्पर्य है?
(iv) क्रांतिकारी व्यक्ति क्या करता है ?
(v) अर्नाल्ड बेनेट के अनुसार कौन व्यक्ति सुखी नहीं हो सकता ?
उत्तर –
(क) (i) समाज एवं राष्ट्रहित में नागरिक के लिए शिष्ट गुणों की अपेक्षा की जाती है। जैसे कि वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्त्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग सेवा की भावना आदि ।
(ii) चारित्रिक गुण किसी व्यक्ति के लिए निजी जीवन में सुखी और आनंदमय प्रकार से उपयोगी हो सकते हैं।
(iii) वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सबके लिए सुखदायक मानी गयी है क्योंकि ये समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है।
(iv) मधुर वाणी और शिष्ट व्यवहार अहंकारहीन व्यक्ति कर सकता है और अहंकारी नहीं क्योंकि अहंकारी व्यक्ति अशिष्ट व्यवहार का आभासी होता है।
(v) देश के प्रति व्यक्ति का व्यवहार और कर्त्तव्य, ऐसा होना चाहिए जो देश के सम्मान, सम्पत्ति और स्वाभिमान को ठेस न पहुँचाएँ।
(ख) (i) साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है।
(ii) क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल समझकर मद्धिम बनाते हैं।
(iii) ‘साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता’ का तात्पर्य है – वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है।
(iv) क्रांतिकारी व्यक्ति अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल समझकर मद्धिम बनाते हैं।
(v) अर्नाल्ड बेनेट के अनुसार जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी की चुनौती को कुबूल नहीं कर सकता, वह सुखी नहीं हो सकता।
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