निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें –
प्रश्न – (अ) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें –
कहानी अपनी कथावृत्ति के कारण संसार की प्राचीनतम विधा है। गल्प, कथा, आख्यायिका, कहानी इन अनेक नामों से आख्यात विख्यात कहानी का विविध कोणीय है। युगान्तर के साथ कहानी में परिवर्तन हुए हैं और इसकी परिभाषाएँ भी बदली हैं। कहानी का रंगमंचीय संस्करण है एकांकी। इसी तरह उपन्यास का रंगमंचीय संस्करण है नाटक। लेकिन उपन्यास और कहानी अलग-अलग हैं। कहानी में एकान्वित प्रभाव होता है, उपन्यास में समेकित प्रभावान्वीति होती है। कहानी को बुलबुला और उपन्यास को प्रवाह माना गया है। कहानी टार्चलाइट है, किसी एक बिन्दु या वस्तु को प्रकाशित करती है। उपन्यास दिन के प्रकाश की तरह शब्दों को समान रूप से प्रकाशित करता है। कहानी में एक ओर एक घटना ही होती है। उपन्यास में प्रमुख और गौण कथाएँ होती हैं। कहानी ध्रुपद की तान की तरह है, आरम्भ होते ही समाप्ति का सम-विषम उपस्थित हो जाता है। उपन्यास शास्त्रीय संगीत का आलाप है, आलाप में आधी रात गुजर जाती है। कुछ लोग दर्शक दीर्घा में सो जाते हैं, कुछ घर लौट जाते हैं। पर कहानी शुरू हो गयी तो पढ़ने वाले को खत्म तक पहुँचने को लाचार कर देती है चाहे परोसा हुआ खाना ठंडा हो या डाकिया दरवाजे पर खड़ा हो, कहानी प्रमुख हो जाती है। उपन्यास पुस्तक से निकलकर पाठक के साथ शौचालय, शयनकक्ष, सड़क, चौराहा, सर्वत्र चलने लगता है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक दें।
(ii) ‘कहानी’ अन्य किन नामों से प्रचलित है?
(iii) कहानी और उपन्यास में मुख्य अंतर क्या है?
(iv) उपन्यास पुस्तक से निकलकर पाठक के साथ कहाँ-कहाँ चलने लगता है ?
(v) कहानी पाठक को किस प्रकार लाचार कर देती है ?
(vi) संसार की प्राचीनतम विधा कहानी क्यों है?
(ब) निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देंलोभी मनुष्य की मानसिक स्थिति विचित्र – सी होती है। धन के प्रति उसकी ललक की तीव्रता और उत्कटता को देखकर ऐसा लगता है, मानो वह सामान्य इंसान नहीं हो । सामान्य इंसान ललक की तीव्रता का शिकार होकर तज्जन्य अशांति एवं अस्थिरता को स्वीकार कर ही नहीं सकता। धन इकट्ठा करता है जिससे उसे किसी समय उसकी कमी न हो, परन्तु उसे उसकी कमी हमेशा बनी ही रहती है। पहले उसकी कमी कल्पित होती है, परन्तु पीछे वह यथार्थ, असली हो जाती है; क्योंकि घर में धन रहने पर भी वह उसे काम में नहीं ला सकता । लोभ से असंतोष की वृद्धि होती है और संतोष का सुख खाक में मिल जाता है। लोभ से भूख बढ़ती है और तृप्ति घटती है। लोभ से मूलधन व्यर्थ बढ़ता है और उसका उपयोग कम होता है। लोभी का धन देखने के लिए, वृथा रक्षा करेन के लिए और दूसरों को छोड़ जाने के लिए होता है। ऐसे धन से क्या लाभ ?. ऐसे धन को इकट्ठा करने में अनेक कष्ट उठाने की अपेक्षा संसार भर में जितना धन है, उसे अपना ही समझना अच्छा है।
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दें –
(i) लोभी का धन किसके काम आता है ?
(ii) लोभ बुरा है, क्यों?
(iii) लोभ हमेशा धन के अभाव का अनुभव क्यों करता है ?
(iv) लोभी मनुष्य सामान्य इंसान नहीं होता, क्यों ?
उत्तर –
(अ) (क) कहानी और उपन्यास । (ख) कहानी के अनेक नाम हैं, यथा -गल्प, आख्यायिका और कथा। (ग) कहानी में पूर्णतः एक ही कथा होती है, जबकि उपन्यास में एक प्रमुख और अनेक गौण कथाएँ होती हैं। कहानी में एकान्वित प्रभाव होता है और उपन्यास में समेकित । (घ) उपन्यास पुस्तक से निकलकार पाठक के साथ शौचालय, शयनगृह, चौराहा-सड़क सर्वत्र घूमने लगता है। (ङ) कहानी पाठक को इतना लाचार कर देती है कि परोसा गया उसका खाना ठंडा हो जाता है, डाकिया दरवाजे पर दस्तक देता है लेकिन वह कहानी नहीं छोड़ता जब तक वह खत्म नहीं हो जाती। (च) कहानी अपनी कथा-वृत्ति के कारण संसार की प्राचीनतम विधा है।
(ब) (क) लोभी का धन देखने के लिए, वृक्ष रक्षा करने के लिए और दूसरों को छोड़ जाने के लिए होता है। (ख) लोभ बुरा है क्योंकि उससे अर्जित धन का भोग लोभी नहीं कर पाता। (ग) लोभी धन इसलिए इकट्ठा करता है जिसमें उसे किसी समय उसकी कमी न हो। (घ) लोभी मनुष्य सामान्य इंसान नहीं होता है क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति विचित्र – सी होती है।
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