निम्नलिखित पर संक्ष्यित टिप्पणी लिखो – (i) एकीकरण (ii) इकाई विभाजन (iii) क्रियात्मक अनुसंधान
उत्तर – मनोविज्ञान के विकास के परिणामस्वरूप अनेक अधिगम-सिद्धान्त प्रतिपादित हुए । इन्हीं सिद्धान्तों में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त गेस्टाल्टवाद (Gestaltism) अर्थात् पूर्णाकारवाद का सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के अनुसार मस्तिष्क एक इकाई है। मस्तिष्क ज्ञान को छोटे-छोटे छुकड़ों में प्राप्त नहीं करता, बल्कि उसे पूर्णरूप से ग्रहण करता है। वही वस्तु या विचार मस्तिष्क में स्थिर होता है जो पूर्ण अर्थ देता है।
चूँकि ज्ञान एक इकाई है तथा शिक्षा का उद्देश्य बालकों को ज्ञान की एकता से परिचित करना है | शिक्षा का यह उद्देश्य पाठ्य-विषयों को अलग-अलग रूप में पढ़ाने से पूरा नहीं हो सकता अर्थात् यह कार्य तभी पूर्ण हो सकता है जब विषयों को एक-दूसरे से सम्बन्धित करके पढ़ाया जाये । इसके लिए विषयों का एकीकरण आवश्यक है । एकीकरण की अवधारणा के अन्तर्गत विभिन्न पाठ्य-विषयों को इस प्रकार परस्पर सम्बन्धित किया जाना चाहिए कि उनके बीच किसी प्रकार की दीवार न रहे । इस प्रकार को समग्र रूप में प्रस्तुत करना ही एकीकरण है ।
एकीकरण की अवधाारण से ‘एकीकृत पाठ्यक्रम’ का उदय हुआ है। अमेरिकी विद्यालयों में इस प्रकार के पाठ्यक्रम का विकास हुआ है । एकीकरण के सिद्धान्त के अनुसार कोई विचार अथवा क्रिया तभी प्रभावशाली एवं उपयोगी होती है जब उसके विभिन्न भागों एवं पक्षों में एकता होती है | इसीलिए एकीकृत पाठ्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न विषयों के ज्ञान को अलग-अलग खण्डों में प्रस्तुत न करके, सब विषयों को मिलाकर ज्ञान की एक इकाई के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ।
हेन्डरसन (Henderson) के अनुसार, “ एकीकृत वह पाठ्यक्रम है जिसमें विषयों के बीच काई अवरोध, रुकावट अथवा दीवार नहीं होती है । ”
“A Curriculum in which barriers between subjects are broken down is often called integrated Curriculum.” – Henderson
(ii) इकाई – विभाजन (Division of units) – अध्ययन-अध्यापन की सुविधा की दृष्टि से प्राचीन समय से ही पाठ्यक्रम को विभिन्न प्रकरणों में विभाजित किया जाता रहा है, परन्तु वर्तमान समय में इसके महत्त्व पर विशेष बल दिया जाने लगा है तथा प्रकरण – विभाजन को बरकरार रखते हुए इकाई – विभाजन को अपनाया जा रहा है । इकाई – विभाजन का संप्रत्यय बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में प्रकाश में आया ।
इकाई-विभाजन किसी प्रकरण अथवा प्रकरणों से सम्बन्धित अन्तर्वस्तु एवं शिक्षण विधि के अधिगम- अनुभवों के रूप में छात्रों में अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन लाने के उद्देश्य से शिक्षक द्वारा अग्रिम नियोजन के रूप में किया जाता है । इस प्रकार के विभाजन एवं उसके संगठन के निम्नलिखित तीन आधार होते हैं – (i) अन्तर्वस्तु की समानता, (ii) प्रक्रिया की समानता, (iii) अधिगम- अनुभव की समानता ।
इकाई निर्माण में उपर्युक्त आधारों में से किसे प्रमुखता दी जाये, यह अपेक्षित उद्देश्यों एवं प्रस्तुत स्थितियों पर निर्भर करता है अर्थात् किसी इकाई की वास्तविक प्रकृति का ज्ञान कार्यात्मक स्तर पर ही हो सकता है । इकाई से सम्बन्धित अनेक नाम प्रचलित हैं, जैसे- इकाई, कार्य-इकाई, विषय-वस्तु, अनुभव- इकाई, प्रक्रिया इकाई, बाल केन्द्रित इकाई, अध्यापन-इकाई, सन्दर्भ – इकाई आदि । वास्तव में ये नाम पाठ्यक्रम संगठन के विभिन्न संप्रत्यायों एवं उपागमों पर आधारित हैं। उदाहरणार्थ-विषय-वस्तु आधारित पाठ्यक्रम के अन्तर्गत विषय-वस्तु इकाइयाँ बनी तो अनुभव, प्रक्रिया, बाल मनोविज्ञान पर बल आने से क्रमशः अनुभव, प्रक्रिया एवं बाल केन्द्रित इकाइयों का निर्माण होने लगया। इसी प्रकार शिक्षण इकाई कक्षा में वास्तविक शिक्षण कार्य में सहायता प्रदान करने हेतु निर्मित की जाती है, जबकि सन्दर्भ इकाई शिक्ष-इकाई के निर्माण की सहायता के लिए बनाई जाती है।
(iii) क्रियात्मक अनुसन्धान (Action Research) : क्रियात्मक अनुसन्धान एक विधि है जिसके द्वारा किसी कार्य प्रणाली की समस्याओं का अध्ययन वस्तुनिष्ठ ढंग से किया जाता है तथा उसमें सुधार लाया जाता है। क्रियात्मक अनुसन्धान का प्रयोग केवल शिक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के कार्य करने वाले वाले अपनी कार्य प्रणाली की समस्याओं के अध्ययन के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसन्धान की प्रक्रिया को प्रयोग में लाने का श्रेय स्टीफेन एम. कोरी को है। इस संप्रत्यय की उत्पत्ति का स्रोत ‘आधुनिक मानव संगठन सिद्धान्त ‘ (Modern Huyman Organsation Theory ) है । इस सिद्धान्त की प्रमुख धारणा यह है कि व्यवस्था अथवा संगठन के कार्यकर्त्ता के कार्यकुशलता के साथ-साथ समस्या समाधान की भी क्षमता होती है तथा उसके अपने कुछ मूल्य भी होते हैं। इसलिए कार्यकर्ता को उसकी कार्य प्रणाली की समस्याओं के समाधान का अवसर दिया जाना चाहिए।
पाठ्यक्रम में भी वांछित सुधार हेतु इसकी समस्याओं का वस्तुनिष्ठ अध्ययन करने के लिए क्रियात्मक अनुसन्धान का प्रयोग किया जाता है।
क्रियात्मक अनुसन्धान के सोपान (Steps of Action Research)
क्रियात्मक अनुसन्धान में निम्नलिखित छः सोपानों का अनुसारण किया जाता है-
- समस्या को पहचानना (Identification of Problem),
- परिकल्पना का प्रतिपादन अर्थात् सम्भावित समाधान का प्रस्तुतीकरण (Formulation of Hypothesis),
- परिकल्पना-परीक्षण की रूपरेखा तैयार करना (Preparation of Design for the testing of Hypothesis)
- निरीक्षण द्वारा प्रदत्तों का संकलन (Collection of Data or evidences by observation)
- प्रदत्रों का विश्लेषण (Analysis of Data),
- निष्कर्षों का प्रतिपादन (Formulation of inferences of conclusions)।
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