निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखें –
प्रश्न – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखें –
(क) छः प्रकार के दोष कौन हैं? पठित पाठ्य के आधार पर वर्णन करें।
(ख) “संस्काराः प्रायः पञ्चविधाः सन्ति । जन्मपूर्वाः त्रयः । शैशवाः षट्, शैक्षणिकाः पञ्च, गृहस्थ-संस्कार विवाहरूपः एकः मरणोत्तर संस्कारश्चैकः ।”
(i) यह उक्ति किस पाठ की है ?
(ii) जन्मपूर्व संस्कार कितने हैं?
(iii) गृहस्थ संस्था कौन हैं ?
उत्तर –
(क) महात्मा विदुर द्वारा रचित ‘विदुरनीति’ ग्रंथ से संकलित ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मनुष्य के छह दोषों का वर्णन किया गया है। ये छह दोष – नींद, ऊँघना, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता है। नीतिकार का कहना है कि प्रगति की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों को इन छह दोषों को त्याग देना चाहिए, क्योंकि अधिक निद्रा के कारण वह कोई काम समय पर नहीं कर पाता। वह तंद्रावश प्रत्येक काम में पीछे रह जाता है। भय के कारण काम आरंभ ही नहीं करता तथा क्रोध के कारण बना काम भी बिगड़ जाता है। आलस्य के कारण समय का सदुपयोग नहीं हो पाता, तो दीर्घसूत्रता अथवा काम को कल (आनेवाले समय) पर छोड़ने के कारण काम का बोझ बढ़ जाता है।
(ख) (i) यह उक्ति ‘भारतीय संस्कार’ पाठ की है?
(ii) जन्म पूर्व संस्कार तीन हैं।
(iii) गृहस्थ संस्कार विवाह है।
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