निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें –

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प्रश्न- निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें – 
(क) भगवान बुद्ध ने पटना के सम्बन्ध में क्या कहा था ?
 (ख) प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं ?
(ग) अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ?
 (घ) चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें।
(ङ) केशांत संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता है, क्यों?
 (च) अपनी प्रगति चाहने वाले को क्या करना चाहिए ?
 (छ) ‘कर्मवीर कथा’ से क्या शिक्षा मिलती है ?
 (ज) मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दों में करें।
 (झ) सात्विक दान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें।
 (ञ) कर्ण की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
 (ट) वेदाङ्गों के नाम लिखें। का नामोल्लेख करें।
(ठ) कल्प ग्रन्थों के प्रमुख रचनाकारों
उत्तर –
(क) भगवान बुद्ध ने कहा था कि यह पाटलि नामक गाँव भविष्य में महानगर होगा। साथ ही यह कलह, अग्निदाह एवं बाढ़ से हमेशा प्रभावित रहेगा।
(ख) पुष्पपुर, कुसुमपुर आदि पटना के अन्य नाम प्राचीन ग्रन्थों में मिलते हैं।
(ग) जब अलसशाला में आग लगी तब सभी धूर्त भाग गये। उसके बाद सभी आलसी भी भाग  गये। लेकिन चार महा आलसी पुरुष वहीं सोये हुए थे एवं आपस में बातचीत कर रहे थे।
(घ) वस्त्र से मुँह ढके हुए पहला आलसी बोला- यह कोलाहल कैसा है? दूसरे ने कहा – ऐसा लगता है घर में आग लगी है। तत्पश्चात् तीसरे ने कहा- कोई धार्मिक स्वभाव वाला व्यक्ति हमारी रक्षा हेतु तत्पर होकर अग्निशमन करता। चौथे ने कहा- ऐ वाचाल तुम बहुत बोल रहे हो। शांत रहो।
(ङ) केशांत संस्कार में गुरु के घर में ही शिष्य का प्रथम क्षौरकर्म (हजामत) होता था। इसमें गोदान मुख्य कर्म था। अतः साहित्य ग्रंथों में इसका दूसरा नाम गोदान संस्कार भी प्राप्त होता है।
(च) आलस्य, निद्रा, तंद्रा, भय, दीर्घ सूत्रता आदि ऐसे दोष हैं जिन्हें प्रगति चाहने वाले को त्याग देना चाहिए।
(छ) कर्मवीर से हमें यही शिक्षा मिलती है कि अपनी निष्ठा, पत्रिम, सेवाभाव से हो मनुष्य परमपद को प्राप्त कर सकता है। रामप्रवेशराम अभावग्रस्त दलित जाति में जन्म लेकर भी प्रबल इच्छाशक्ति के कारण उच्चपद प्राप्त किये हैं। उनका जीवनपथ निश्चय ही आदर्श है। हमें भी प्रबल इच्छाशक्ति को अपनाकर जीवनपथ पर अग्रसारित होना चाहिए।
(ज) मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों से भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिवाद, छुआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेक उदाहरण थे जो भारतीय समाज को अंधकूप की ओर ले जा रहे थे। दलित हिन्दू समाज को तिरस्कार कर धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिया था।
(झ) देशकाल, स्थान एवं पात्र को ध्यान में रखकर दिया गया दान सात्विक होता है। बूढ़ा बाघ पथिक को फँसाने के लिए गोतोपदेश सुनाता है। पथिक भी दान लेने के लिए योग्य पात्र मानता है।
(ञ) दानवीर कर्ण एक साहसी तथा कृतज्ञ आदमी था। वह सत्यवादी और मित्र का विश्वास पात्र था। दुर्योधन द्वारा किये गए उपकार को वह कभी नहीं भूला। उसका कवच-कुण्डल अमे था फिर भी उसने इंद्र को दान स्वरूप दे दिया। वह दानवीर था। कुरुक्षेत्र में वीरगति को पाकर वह भारतीय इतिहास में अमर हो गया।
 (ट) वेदाङ्ग छः हैं। वे छः इस प्रकार हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिषा
(ठ) गौतम, बौघायन, वशिष्ठ, भारतद्वाज आदि ऋषि कल्प ग्रंथों के प्रमुख रचनाकार है।

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