निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें–

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प्रश्न- निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें– 
(क) प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में वर्णित पटना के विभिन्न नामों का उल्लेख करें।
 (ख) विद्वान् परमात्मा के पास क्या छोड़कर जाते हैं?
 (ग) राजशेखर ने पटना को किस रूप में स्मरण किया है?
 (घ) अलसशाला में आग क्यों लगाई गई?
 (ङ) विजयांका की विशेषताओं का वर्णन करें।
(च) ‘भारतमहिमा’ पाठ के आधार पर भारत का वर्णन संक्षेप में करें।
(छ) शिक्षा संस्कार में कौन-कौन-से संस्कार होते हैं?
 (ज) मूर्ख किसे कहा गया है?
(झ) राम प्रवेश राम के जीवन से क्या शिक्षा मिलती है?
(ञ) स्वामी दयानन्द पर रात्रि जागरण का क्या प्रभाव पड़ा?
(ट) अति संक्षेप में मन्दाकिनी नदी का वर्णन करें।
(ठ) किसको दान देना चाहिए ?
 (ड) वैज्ञानिक शास्त्रों का परिचय दें।
 (ढ) ‘ज्ञानं भार: क्रियां बिना’ का अर्थ स्पष्ट करें।
 (ण) वेदाङ्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर –
 (क) प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में और पुराणों में पाटलिपुत्र का नाम पुष्पपुर या कुसुमपुर माना जाता है। इस नगर के समीप पाटल पुष्पों का उत्पादन होता था। संभवतः पाटलिपुत्र शब्द भी यहाँ पाटल पुष्पों के पल्लवित होने के कारण प्रचारित है।
(ख) मुण्डकोपनिषद में महर्षि वेदव्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् अपने व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप अर्थात् अहम को त्यागकर ब्रह्मा को प्राप्त कर लेता है।
 (ग) राजशेखर ने लिखा है कि दीर्घकाल तक पटना सरस्वती परम्परा अर्थात् ज्ञान परम्परा का वाहक रहा है। पाणिनि, पिंगला, वररुचि, पतंजली आदि जैसे विद्वानों की यह परीक्षा स्थल रहा है।
(घ) वास्तविक आलसियों की पहचान के लिए वहाँ पर नियुक्त कर्मियों ने सोये हुए आलसियों के घर में आग लगा दी। जो धूर्त थे, वे घर में लगी आग को देखकर भाग गए। लेकिन वास्तविक आलसी वहीं पड़े रहे।
(ङ) विजयनगर साम्राज्य मध्यकालिन का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने 310 वर्ष तक राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्नाटक साम्राज्य था इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी।
(च) भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य स्वर्ग-सा है। यह देवताओं, ऋषियों एवं महापुरुषों की अवतरण भूमि है। इसकी महिमा का वर्णन विष्णुपुराण एवं भागवतपुराण में देखने को मिलता है। भारतभूमि पर अवतरित होनेवाला मनुष्य निश्चित ही धन्य है। हमारी भारत भूमि विशाल, रम्यरूपा और कल्याणप्रद है। अत्यन्त शोभनीय और संसार का गौरव भारत हम सबों के द्वारा सदैव पूजनीय है। यहाँ धर्म जाति के भेदों को भूलकर एकांत एवं सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाता है। हम भारतीय सदैव कहते हैं- -वसुधैव कुटुम्बकम् सम्पूर्ण पृथ्वी ही हमारा परिवार है। –
(छ) शिक्षा संस्कारों में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, मुंडनसंस्कार और समापवर्तन संस्कार आदि आते हैं। अक्षरारंभ में बच्चा अक्षर लेखन और अंक-लेखन आरंभ करता था। उपनयन संस्कार में गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता था। वहाँ शिष्य शिक्षा-नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे। गुरु के घर में ही शिष्य वेदारंभ किया करते थे। केशान्त (मुंडन) संस्कार में गुरु के घर में प्रथम क्षौरकर्म, अर्थात मुंडन होता था। समापवर्तनसंस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के घर से अलग होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता था।
(ज) जो व्यक्ति विद्वान न होकर अभिमान के साथ कार्य करने में तत्पर रहता है, बिना कर्म किए अर्थ सिद्धि की कामना करता है, जो अपने कार्य एवं कर्तव्य को छोड़कर दूसरों के कार्य को पूरा करने में लगा रहता है, जो मित्रों से झूठा आचरण करता है, जो अच्छी वस्तुओं और अच्छे लोगों का त्याग करता है उसे मूर्ख कहा गया है।
(झ) राम प्रवेश राम भीखनटोला गाँव के रहनेवाले एक दलित बालक थे। उस बालक को एक शिक्षक ने अपने विद्यालय में लाकर शिक्षा देना प्रारंभ किया। बालक राम प्रवेश राम शिक्षक की शिक्षणशैली से आकृष्ट हुए। उन्होंने शिक्षा की जीवन की परम गति माना। वे विद्या अध्ययन में रात-दिन लग गए और अपने वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने लगे।
(ञ) स्वामी दयानंद के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा इनके परिवार में विशेष रूप में मनाई जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते।
(ट) ‘मंदाकिनी नदी वर्णनम्’ पाठ वाल्मीकीय रामायण के अयोध्याकांड के 95वाँ सर्ग से लिया गया है। वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट पहुँचते हैं, जहाँ राम सीता को मंदाकिनी नदी को दिखलाते हुए उसके छटा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक संसाधनों से मन को आनंदित करनेवाली हैं। इस नदी में मुनि लोग स्नान करते हैं सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
(ठ) ‘शास्त्रों के अनुसार इन 9 लोगों को दान देना काफी शुभ माना गया है। जैसे—माता-पिता, गुरु, दोस्त, विनयी, उपकार करने वाले लोग (परोपकारी मनुष्य) दीन, अनाथ और सज्जन इन लोगों को दान करने से सफलता प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इन लोगों को दान देना शुभ होता है।
(ड) विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धांतों को जानने के लिए किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ज्ञान-भंडार के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
(ढ) ज्ञान के बिना मनुष्य केवल एक पशु के समान है– भतृहरि । वास्तव में केवल ज्ञान ही मनुष्य को सुशोभित करता है, यह ऐसा अदभूत खजाना है जो हमेशा सुरक्षित और छिपा रहता है, इसी के माध्यम से हमें गौरव और सुख मिलता है।
(ण) वेदाङ्गशास्त्र छः हैं – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष ।

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