निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें –

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प्रश्न- निम्नलिखित में किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर दें – 
(क) राजशेखर ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है?
 (ख) पटना के मुख्य दर्शनीय स्थलों का नामोल्लेख करें।
(ग) संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें ।
(घ) शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन से हैं?
(ङ) ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर पण्डित के लक्षण क्या हैं?
 (च) स्वामीदयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई ?
 (छ) ‘व्याघ्र पथिक कथा’ के आधार पर बताएँ कि दान किसको देना चाहिए?
 (ज) ‘कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के आधार पर इन्द्र की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करें।
 (झ) कर्ण के कवच और कुण्डल की विशेषताएँ क्या थीं?
(ञ) शास्त्रं मानवेभ्यः किं शिक्षयति ?
(ट) ज्योतिषशास्त्र के अन्तर्गत कौन-कौन-सास्त्र हैं तथा उनके प्रमुख ग्रन्थ कौन से हैं ?
(ठ) कौन-कौन से विदेशी यात्री पटना आये थे?
उत्तर –
(क) राजशेखर ने लिखा है कि दीर्घकाल तक पटना सरस्वती परम्परा अर्थात् ज्ञान परम्परा का वाहक रहा है। पाणिनि, पिंगला, वररुचि, पतंजली आदि जैसे विद्वानों की यह परीक्षा स्थल रहा है।
 (ख) संग्रहालय, उच्च न्यायालय, सचिवालय, गोलघर, तारामण्डल, जैविक उद्यान, मौर्यकालीन अवशेष, महावीर मंदिर, गुरुद्वारा आदि पटना के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
(ग) संस्कृत साहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डित क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। शंकरचरितम् उनकी अनुपम रचना है। गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, ग्रामज्योति आदि की रचनाएँ की हैं।
(घ) शैक्षणिक संस्कार में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशान्त समापवर्त्तन आदि होते हैं ।
(ङ) धर्म एवं कर्म प्रवचनीय पण्डित सर्वत्र नहीं मिलते हैं। जिसके कार्य में शीत, उष्ण, प्रेम, समृद्धि, असमृद्धि बाधा नहीं पहुँचाते हैं वही पण्डित है। जीवों के तत्त्वों को जाननेवाला कर्म को जाननेवाला ही पण्डित है।
(च) स्वामी दयानन्द का परिवार धर्म के प्रति आसक्ति रखता था। बड़ों को देखकर एक बार शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बिखरे चावल के कणों को खाते हुए चूहों को देखा तो वे सोच में पड़ गये कि जब शिव अपनी रक्षा नहीं कर सकते तो दूसरों की रक्षा क्या करेंगे। ऐसे भाव आते ही उनके मन में मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था जागृत हो गई ।
(छ) दान गरीबों को देना चाहिए। जो उपकार नहीं किया है उसे दान देना चाहिए। स्थान, समय और पात्र को ध्यान में रखकर दान देना चाहिए।
(ज) इंद्र को देवराज कहा जाता है। उनमें चारित्रिक गुणों के साथ कुछ दोष भी नजर आते हैं। अर्जुन की रक्षा के लिए वेश बदलकर कर्ण के पास जाते हैं और दान में कवच और कुण्डल की माँग करते हैं। कर्ण सबकुल जानकर भी सहर्ष इन्द्र को दान में कवच और कुण्डल अर्पण कर देता है। उस समय इन्द्र किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं।
(झ) कर्ण के कवच और कुण्डल में ऐसी शक्ति विद्यमान थी जिसके रहते उसे किसी प्रकार की क्षति नहीं हो सकती थी। युद्ध में उसे कोई मार नहीं सकता था। अर्थात् कवच-कुण्डल रहते कर्ण की मृत्यु नहीं हो सकती थी।
(ञ) शास्त्र मानव को कर्तव्य एवं अकर्तव्य के विषय में शिक्षित करता है। अर्थात् शास्त्र ज्ञान देता. है कि मनुष्य को क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए।
(ट) ज्योतिषशास्त्र के अन्तर्गत खगोल विज्ञान एवं गणित विषय है। आर्यभट्ट रचित आर्यभट्टीयम एवं वाराहमिहिर रचित वृहत्संहिता इनके प्रमुख ग्रंथ हैं।
(ठ) मेगास्थनीज फाह्यान, ह्येनसांग, इत्सिंग आदि विदेशी यात्री पटना आये थे।

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