निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 250-300 शब्दों में निबंध लिखें।

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प्रश्न – निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 250-300 शब्दों में निबंध लिखें। 
(क) जंगल
(i) भूमिका
 (ii) जंगल का महत्त्व
 (iii) जंगल से लाभ
(iv) जंगलों की अंधाधुंध कटाई से हानि
(v) उपसंहार ।
(ख) हमारे पड़ोसी
(i) भूमिका
(ii) सम्पन्न पड़ोसी
 (iii) गरीब पड़ोसी
 (iv) हमारा कर्तव्य
 (v) उपसंहार
 (ग) वसंत ऋतु
(i) भूमिका
(ii) वसंत ऋतु का महत्त्व
 (iii) ऋतुओं का राजा
 (iv) सदाबहार मौसम
(v) उपसंहार ।
(घ) भारतवर्ष
(i) भूमिका
(ii) महत्ता
(iii) चहुर्मुखी विकास
(iv) विदेशियों को सशक्त भारत का संदेश
(v) अनेकता में एकता
(vi) उपसंहार ।
उत्तर –
(क) जंगल
(i) भूमिका : जंगल को आम तौर पर एक विशाल क्षेत्र के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के पौधे और पेड़ होते हैं। यह जंगली जानवरों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक आवास हैं। जंगलों का निर्माण अलग-अलग तरह की परतों से होता है जिनका अपना महत्व और कार्य हैं।
(ii) जंगल का महत्व : यह सामान्य सा ज्ञान है कि पौधे ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं जो वातावरण के लिए हानिकारक होती हैं। पेड़ और जंगल हमें पूरी हवा के साथ-साथ वातावरण की भी सफ़ाई करने के लिए मदद करते हैं। वृक्ष और मिट्टी वायुमंडलीय तापमान को बाष्पीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से विनियमित करते हैं। यह जलवायु को स्थिर करने में सहायता करता है। वन तापमान ठंडा रखता है। वन जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए एक घर के रूप में सेवा करते हैं। इस प्रकार जैव विविधता को बनाए रखने के लिए ये एक बढ़िया साधन हैं जो एक स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।
(iii) जंगल से लाभ : लकड़ी के अन्य सामानों में टेबल, कुर्सियाँ और बिस्तरों के साथ फर्नीचर के विभिन्न टुकड़े बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। वन विभिन्न प्रकार के जंगल के स्रोत के रूप में सेवा करते हैं। दुनिया भर के लाखों लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं।
(iv) जंगलों की अंधाधुंध कटाई से हानि: वनों की कटाई जंगल के बड़े हिस्से में इमारतों के निर्माण जैसे उद्देश्यों के लिए पेड़ों को काटने की प्रक्रिया है। इस जमीन पर फिर से पेड़ों को लगाया नहीं जाता। आंकड़े बताते हैं कि औद्योगिक युग के विकास के बाद से दुनिया भर के लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। लकड़ी और वृक्षों की अन्य घटकों से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में वृक्षों को भी काटा जाता है। वनों की कटाई के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। णों से मिट्टी का क्षरण, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान होता है।
(v) निष्कर्ष : वन मानव जाति के लिए एक वरदान है। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए।
(ख) हमारे पड़ोसी
(i) भूमिका : पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति हमारे पड़ोसी होते हैं। पड़ोस के लोग एक-दूसरे के सहायक होते हैं। खुशी का अवसर हो चाहे दुख का, पड़ोसी जितने काम आते हैं उतने दूर रहने वाले सगे-संबंधी नहीं। हमें पड़ोसियों के साथ मधुर व्यवहार करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर पड़ोसियों को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए ।
(ii) संपन्न पड़ोसी : मेरे घर के सामने शर्मा जी का परिवार रहता है। शर्मा जी किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं। शर्मा जी का पूरा परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का है। प्रत्येक मंगलवार को उनके यहाँ भजन-कीर्तन होता है। शर्मा जी का हँसमुख स्वभाव पूरे महल्ले में प्रसिद्ध है। वे सभी के साथ बड़ी मीठी बोली में बातें करते हैं। मेरे तथा उनके परिवार के बीच खान-पान और मित्रता का नाता है।
(iii) गरीब पड़ोसी : मेरे घर के ठीक पीछे मुहम्मद सलीम जी का परिवार रहता है। हमारे छत सटे हुए हैं अतः प्रतिदिन ही सलीम जी के परिवार के सदस्यों से हमारी बातचीत होती है। सलीम जी एक दर्जी हैं। हमारे घर के सभी कपड़े सलीम जी ही सिलते हैं। सलीम जी बड़े ही सच्चे व नेकदिल इसान हैं। वे नियम से नमाज पड़ते हैं। सलीम जी पड़ोसियों की सहायता के लिए हर समय तैयार रहते हैं।
(iv) हमारा कर्तव्य : कोई अपने पड़ोसियों से दूर नहीं हो सकता है, हालाँकि वे हो सकते हैं। साथ ही, कोई भरोसेमंद पड़ोसियों के बिना नहीं रह सकता है जो संकट के समय में मदद करने के लिए पर्याप्त चिंतित होंगे। हम में से प्रत्येक को यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अच्छे पड़ोसियों के रूप में कार्य करें। यह याद रखना अच्छा होगा कि हमें अपने पड़ोसियों के साथ ऐसा करना चाहिए जैसे हम उन्हें उम्मीद करेंगे कि वे हमसे करेंगे।
(v) उपसंहार : मुझे इतना अच्छा पड़ोसी देने के लिए मैं वास्तव में भगवान का शुक्रगुजार हूँ। शर्मा जी सर्वश्रेष्ठ हैं। उसका परिवार भी बहुत मिलनसार है। मुझे खुशी है कि हमारी माताएँ भी आपस में मित्र हैं।
(ग) वसंत ऋतु
(i) भूमिका : भारत में वसंत ऋतु को सबसे सुहावना मौसम माना जाता है। प्रकृति में सब कुछ सक्रिय होता है और पृथ्वी पर नए जीवन को महसूस करते हैं। वसंत ऋतु सर्दियों के तीन महीने के लम्बे अन्तराल के बाद बहुत सी खुशियाँ और जीवन में राहत लाती है। वसंत ऋतु सर्दियों के मौसम के बाद और गर्मियों के मौसम से पहले, मार्च, अप्रैल और मई के महीने में आती है।
(ii) वसंत ऋतु का महत्व : पेड़-पौधों की शाखाओं पर नई और हल्की हरी पत्तियाँ आना शुरु होती है। सर्दियों की लम्बी खामोशी के बाद, पक्षी हमारे चारों ओर घर के पास और आसमान में चहचहाना शुरु कर देते हैं। वसंत ऋतु के आगमन पर, वे स्वयं को तरोताजा महसूस करते हैं और अपनी खामोशी को मीठी आवाज के द्वारा तोड़ते हैं। उनकी गतिविधियाँ हमें यह महसूस कराती है कि, वे बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं और भगवान को इस अच्छे मौसम को देने के लिए धन्यवाद कह रहे हैं।
(iii) ऋतुओं का राजा : बसंत ऋतु की शोभा सबसे निराली होती है। बसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है इसी वजह से यह ऋतुओं की राजा मानी जाती है। भारत की प्रसिद्धि का कारण उसकी प्राकृतिक शोभा होती है। लोग अपने आप को धन्य मानते हैं जो इस पृथ्वी पर रहते हैं। इस मौसम की शुरूआत में, तापमान सामान्य हो जाता है, जो लोगों को राहत महसूस कराता है, क्योंकि वे शरीर पर बिना गरम कपड़ों को पहने बाहर जा सकते हैं। अभिभावक सप्ताह के अन्त के दौरान बच्चों के साथ मस्ती करने के लिए पिकनिक का आयोजन करते हैं। फूलों का खिलना चारों ओर खुशबू को फैलाकर बहुत सुन्दर दृश्य और रोमांचित भावनाओं का निर्माण करता है।
(iv) सदाबहार मौसम : इस मौसम की सुन्दरता और चारों ओर की खुशियाँ, मस्तिष्क को कलात्मक बनाती है और आत्मविश्वास के साथ नए कार्य शुरु करने के लिए शरीर को ऊर्जा देती है। सुबह में चिड़ियों की आवाज और रात में चाँद की चाँदनी, दोनों ही बहुत सुहावने, ठंडे और शान्त हो जाते हैं। आसमान बिल्कुल साफ दिखता है और हवा बहुत ही ठंडी और तरोताजा करने वाली होती है। यह किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मौसम होता है, क्योंकि उनकी फसलें खेतों में पकने लगती हैं और यह समय उन्हें काटने का होता है।
(v) उपसंहार : वसंत ऋतु का मौसम सभी मौसमों का राजा होता है। वसंत ऋतु के दौरान प्रकृति अपने सबसे सुन्दर रुप में प्रकट होती है और हमारे हृदय को आनंद से भरती है। वसंत ऋतु का पूरी तरह
से आनंद लेने के लिए, हमें हमारे स्वास्थ्य की देखभाल पहले से ही करनी चाहिए, जिसके लिए हमें विभिन्न छूत वाली बीमारियों से प्रतिरक्षा के लिए टीके लगवाने चाहिए।
(घ) भारतवर्ष
(i) भूमिका : भारत सिर्फ एक शब्द नहीं है यह हर भारतीय के दिल की आवाज है। भारत एक देश है जहाँ पर हम सभी इसकी छत्रछाया में रहते हैं। राष्ट्र ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति होती है। भारत को हर भारतीय अपनी माँ मानता है। जिस भूमि के अन्न-जल से मनुष्य का शरीर बनता है, विकसित होता है, राष्ट्र के लिए उसका अनायास प्रेम और राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और लगाव उत्पन्न हो जाता है।
(ii) महत्ता : सभी प्राणी अपनी जन्मभूमि से प्यार करते हैं और जिससे प्यार किया जाता है उसकी हर चीज में सौंदर्य दिखाई देता है। उसकी हर वस्तु प्रिय लगने लगती है। हमें भी अपने भारत से बहुत प्यार है और यहाँ की हर चीज़ में सुंदरता दिखाई देती है। हमारा भारत इतना पवित्र और गरिमामय है कि भगवान भी यहाँ पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। हमारी जन्म भूमि भारत स्वर्ग से भी बढकर है।
 (iii) चहुमुखी विकास : आज भारत की विकास दर तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश की सेनाएँ देश की रक्षा करने में संगलन है। स्वतंत्रता मिलने के बाद हिंदी को देश की राष्ट्र भाषा बनाया गया है। आजादी मिलने के बाद 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था और हमारा देश गणतंत्र हुआ था । इसे देश के किसानों की पूजा कर्म होता है। रत्न और हीरों की खाने, कोयले के भंडार, लोहा और युरेनियम धातुओं की गुफा हमारे भारत की मिट्टी के नीचे छिपी हुई हैं।
(iv) विदेशियों को सशक्त भारत का संदेश : आजादी के समय भारत में सुई तक नहीं बनती थी किन्तु आज उपग्रह का भी सफल निर्माण हो रहा है। यदि विशेष रूप से पिछली तीन शताब्दियों में भारतियों के चरित्र को भ्रष्ट करने का सोची-समझी योजना के तहत प्रयास न किया गया होता तो भारत के विकास की गति कई गुना और तीव्र होती।
(v) अनेकता में एकता : हमारा भारत विविधताओं का देश है। भारत में विभिन्नता में एकता दिखाई देती है। भारत में अनेक राज्य हैं और हर राज्यों से अलग-अलग संस्कृतियाँ जुडी हुई हैं। हमारे देश में पहाड़ियाँ हैं तो समुद्र भी हैं, हरियाली है तो रेगिस्तान भी हैं। हमारे भारत में गर्मी, सर्दी, बसंत, पतझड़ सभी ऋतुएँ आती हैं। यहाँ पर हर धर्म के लोग मिलजुलकर रहते हैं। हमारे भारत में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर भी बने हुए हैं। हमारे भारत में अनेक भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते हैं। यहाँ पर खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, धर्म और विचारों में विविधता है। हमारे भारत के लोग एक परिवार की तरह रहते हैं और ‘वसुधैव कटुम्बकम्’ की भावना में विश्वास रखते हैं।
(vi) उपसंहार : आज के समय में भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया है। देश के उद्योग धंधों में जाल-सा बिछा हुआ है और भारत को विश्व में विकासशील देश में अग्रणी स्थान प्राप्त हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हर क्षेत्र में संपन्नता होने के बाद भी भारत का वर्तमान बहुत निराशा से भरा हुआ है।

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