निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता एवं महत्त्व की विवेचना करें ।

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प्रश्न – निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता एवं महत्त्व की विवेचना करें । 
(Discuss the need and importance of guidance and Counselling.) 
उत्तर – निर्देशन तथा परामर्श किसी-न-किसी रूप में प्राचीन काल से चले आ रहे हैं । अतः, यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि इसकी क्या आवश्यकता और महत्त्व है ? सर्वप्रथम निर्देशन तत्पश्चात् परामर्श की आवश्यकता और महत्त्व का निरूपण किया जा रहा है ।
  1. शैक्षिक दृष्टि से- शैक्षिक दृष्टि से निर्देशन की आवश्यकता निम्न प्रकार है—
    1. छात्र असन्तोष की समस्या के निराकरण हेतु ।
    2. वैयक्तिक विभिन्नता के अनुरूप शिक्षा का विकास ।
    3. अपव्यय तथा अवरोधन की समस्या का समाधान ।
    4. पाठ्यक्रम निर्माण हेतु ।
    5. शैक्षिक स्तर तथा उपलब्धि का वांछित स्तर बनाए रखने हेतु ।
  2. सामाजिक दृष्टि से – सामाजिक दृष्टि सेक निर्देशन की आवश्यकता तथा महत्त्व निम्न प्रकार है —
    1. समुचित स्थानापन्न का महत्त्व |
    2. महिलाओं को व्यावसायिक समायोजन के समान अवसर प्रदान करना ।
    3. परिवार की परिवर्तित परिस्थितियाँ ।
    4. उद्योग एवं भ्रम की परिवर्तित परिस्थितियाँ ।
    5. जनसंख्या वृद्धि की समस्या ।
    6. मानवीय संसाधनों का समुचित उपयोग |
    7. परिवर्तित सामाजिक मूल्य |
    8. आवकाश का समुचित उपयोग करने की आवश्यकता ।
    9. मानवीय क्षमता के अपव्यय को नियन्त्रित करने हेतु आवश्यक ।
    10. नगरीकरण की समस्या ।
  3. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से – मनौवैज्ञानिक दृष्टि से निर्देशन की आवश्यकता निम्न प्रकार है –
    1. व्यक्तित्व का विकास करने में सहायक ।
    2. वैयक्तिक विभिन्नताओं के अनुसार विकास ।
    3. संवेगात्मक सन्तुलन बनाये रखना ।
    4. निर्देशन मनुष्य की आधारभूत आवश्यकता ।
    5. व्यक्ति की भावात्मक समस्याओं के समाधान हेतु ।
  4. राजनैतिक दृष्टि से – राजनैतिक दृष्टि से निर्देशन की आवश्यकता निम्न प्रकार है –
    1. प्रजातन्त्र की रक्षा हेतु ।
    2. देश की रक्षा हेतु ।
    3. राष्ट्रीय एकता की भावना के विकास की आवश्यकता ।
    4. अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास हेतु ।
परामर्श के आवश्यकता तथा महत्त्व (Need and Importance of Counselling)— परामर्श की आवश्यकता तथा महत्त्व निम्न प्रकार है—
  1. परामर्शप्रार्थी की अन्तर्दृष्टि के विकास हेतु ।
  2. आत्मविश्वास हेतु ।
  3. निर्णय क्षमता के विकास हेतु ।
  4. प्रोत्साहन हेतु ।
  5. हीन भावना से उबारने हेतु ।
  6. प्रेम तथा सौहार्द्रपूर्ण वातावरण के निर्माण हेतु ।
  7. उत्तरदायित्वों को स्वीकारने तथा निर्वहन करने की क्षमता के विकास हेतु ।
  8. व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान हेतु ।
  9. व्यक्तिगत रुचियों, आवश्यकताओं तथा योग्यताओं को दिशा प्रदान करने हेतु ।
  10. सामाजिकता की भावना के विकास ।

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