निर्देशन तथा परामर्श में क्या अंतर है ?

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प्रश्न – निर्देशन तथा परामर्श में क्या अंतर है ?
(What is difference between guidance and Counselling.)
उत्तर – निर्देशन तथा परामर्श दो ऐसे स्वतंत्र शब्द हैं, जिनके बीच इतना गहरा संबंध है कि हम दोनों शब्दों को समानार्थक शब्द मान लेने की भूल कर बैठते हैं। वास्तविकता यह है कि ये दोनों दो अलग-अलग गुणार्थक संप्रत्यय हैं, जिनके बीच निम्नलिखित अन्तर है—
  1. अर्थ में अन्तर (Difference in meaning ) – निर्देशन तथा परामर्श के अर्थ र ध्यान देने से पता चलता है कि दोनों दो भिन्न गुणार्थक संप्रत्यय हैं। निर्देशन वह प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति को अपनी योग्यताओं, आवश्यकताओं, साधनों तथा अपनी कमी को समझने तथा उसी के अनुकूल अपने आप को भविष्य जीवन की तैयारी करने में मदद की जाती है ताकि वह अपने आप को समाज में समायोजित कर सकें। जैसे यदि कोई मानसिक रूप से दुर्बल हो तो उसके माता-पिता को निर्देशन दिया जा सकता है कि उस बालक के लिए अनुकूल व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था करें ताकि वह भविष्य में अपने आपको समायोजित कर सके ।
    दूसरी ओर परामर्श दो व्यक्तियों के बीच आमने-सामने का सम्बन्ध है जिसमें एक व्यक्ति अर्थात परामर्शदाता इस सम्बन्ध तथा अपनी विशिष्ट योग्यताओं की सहायता से दूसरे व्यक्ति अर्थात सेवार्थी को अपनी सामर्थ्य एवं अपने वर्तमान एवं संभावित भविष्य को समझने में मदद करता है ताकि वह अपनी क्षमताओं का उपयोग इस ढंग से करे जो उसके लिए तथा उसके समाज के लिए लाभप्रद हो । स्पष्टतः परामर्श का यह अर्थ निर्देशन के अर्थ से मूलत: भिन्न है ।
  2. स्वरूप में अन्तर (Difference in nature) — निर्देशन के संप्रत्यय से परामर्श का संप्रत्यय अपने स्वरूप के दृष्टिकोण से भिन्न है । निर्देशन का स्वरूप अपेक्षाकृत निष्क्रिय है । यहाँ निर्देशक किसी व्यक्ति को कोई विशेष निर्देशन देने के बाद निष्क्रिय बन जाता है। जैसे—किसी बालक को गणित बढ़ने या किसी अन्य विषय का निर्देशन देने के बाद शिक्षक या निर्देशक निष्क्रिय बन जाता है।
    दूसरी ओर परामर्श का स्वरूप सक्रिय होता है। यहाँ किसी व्यक्ति को कोई विशेष परामर्श देने के बाद भी परामर्शदाता सक्रिय रहता है। जैसे—औषध व्यसन से पीड़ित किसी व्यक्ति को वह इससे मुक्त होने की न केवल अनुकूल सलाह देता है, बल्कि उस दिशा में वह सक्रिय भूमिका भी निभाता है।
  3. उद्देश्य में अन्तर (Difference in aim or objective) — निर्देशन तथा परामर्श के उद्देश्यों में भी अन्तर है। निर्देशन का उद्देश्य है व्यक्ति को अपने आप को समझने, अपनी क्षमताओं का उपयोग करने, अपनी समस्या के संबंध में स्वयं निर्णय करने तथा स्वतन्त्र रूप से लाभकारी जीवन बिताने में सहायता करना ।
    दूसरी ओर परामर्श का लक्ष्य सेवार्थी के समस्याओं, द्वन्द्वों या समस्याओं का समाधान करना, उनकी अपनी योग्यताओं, मनोवृत्तियों एवं अभिरुचियों से अवगत कराना और जीवन की आपत्तियों का सामना करने में मदद करना है। अतः, परामर्श का उद्देश्य न केवल सलाह देना है बल्कि व्यावहारिक रूप से सहायता करना है ताकि सेवार्थी अपने जीवन में समायोजित हो सके । जैसे—किसी मानसिक दुर्बल बालक को न केवल अनुकूल शिक्षा तथा व्यवसाय के क्षेत्र में निर्देशन देना है बल्कि उसे इन क्षेत्रों में समायोजित होने तक सलाह भी देना है।
  4. कार्यक्षेत्र में अन्तर (Difference in scope) — निर्देशन तथा परामर्श के बीच एक अन्तर इनके कार्यक्षेत्र से संबंधित है। परामर्श का क्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित होता है सामान्यतः परामर्श के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत शैक्षिक निर्देशन, व्यावसायिक निर्देशन, वैवाहिक निर्देशन तथा वैयक्तिक निर्देशन की गणना की जाती है।
    दूसरी ओर परामर्श के कार्यक्षेत्र में जीवन का सभी पक्षों की गणना की जाती है। परामर्श के कार्यक्षेत्र में व्यक्ति को अपनी योग्यताओं एवं अक्षमताओं, व्यक्तिगत, पारिवारिक, शैक्षिक, व्यावसायिक तथा सामाजिक समस्याओं को समझने, उनका समाधान करने तथा समायोजित होने से संबंध परामर्श दिए जाते हैं। सामान्य अस्पतालों, मानसिक चिकित्सालयों, निदान गृहों, जेलखानों, कचहरियों आदि में भी परामर्श की आवश्यकता होती है।
  5. प्रकार में अन्तर (Difference in types) — निर्देशन तथा परामर्श के बीच इनके प्रकारों में भी अन्तर है । निर्देशन के मुख्य प्रकार हैं, वैयक्तिक निर्देशन, शैक्षिक निर्देशन तथा व्यावसायिक निर्देशन | इसके विपरीत परामर्श के मुख्य प्रकार हैं निदेशात्मक परामर्श, अनिदेशात्मक परामर्श तथा ग्रहणशील परामर्श । निदेशात्मक परामर्श को परामर्शदाता केन्द्रित परामर्श तथा अनिदेशात्मक परामर्श को सवार्थी केन्द्रित परामर्श भी कहते हैं। इन दोनों प्रकार के परामर्शों के मिश्रित रूप को ग्रहणशील परामर्श कहते हैं।
  6. प्रविधियों एवं परीक्षणों में अन्तर (Difference in techniques and tests) – निर्देशन तथा परामर्श के बीच एक अन्तर प्रविधियों एवं परीक्षणों के उपयोग से संबंधित है। निर्देशन में प्राय: ऐसी प्रविधियों तथा परीक्षणों का उपयोग किया जाता है, जो किसी व्यक्ति की समस्या से संबंधित सूचनाओं को हासिल करना आवश्यक होता है। इसके लिए सामान्यतः निरीक्षण विधि, साक्षात्कार विधि तथा सर्वेक्षण विधि का उपयोग किया जाता है। इसी तरह आवश्यकता के अनुसार बुद्धि-परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण तथा मनोवृत्ति परीक्षण एवं अभिरुचि परीक्षण का उपयोग किया जाता है।
    इसके विपरीत परामर्श में इन सभी प्रविधियों तथा परीक्षणों के साथ-साथ कई नैदानिक प्रविधियों जैसे—व्यक्ति इतिहास विधि, नैदानिक साक्षात्कार और इसी तरह कई नैदानिक परीक्षणों जैसे— TAT, RT, EPQ तथा MPI का भी उपयोग आवश्यकता के अनुसार जाता है।
  7. उपागम के स्वरूप में अन्तर (Difference in nature of approach ) – निर्देशन तथा परामर्श के उपागम में भी अन्तर पाया जाता है। निर्देशन में सतही उपागम देखा जाता है । यहाँ पीड़ित व्यक्ति को जो निर्देशन दिया जाता है, उससे अधिक गहरायी नहीं होती है । दूसरी ओर परामर्श में गहरा उपागम देखा जाता है । यहाँ सेवार्थी (client) को तात्विक रूप से सलाह दी जाती है ताकि उसकी समस्या का तात्विक समाधान हो सके ।
  8. प्रक्रिया की जटिलता में अन्तर (Difference in complexity of process)— निर्देशन प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होती है। चूँकि निर्देशन का उपागम सतही होता है, जिसके कारण इसमें सरलता की विशेषता पायी जाती है । इसके विपरीत परामर्श की प्रक्रिया अपेक्षाकृत जटिल होती है। कारण, परामर्श की प्रक्रिया गहन उपागम पर आधारित होती है ।
  9. निर्णय – निर्माण में अन्तर (Difference in decision making) – निर्देशन तथा परामर्श में एक मुख्य अन्तर निर्णय – निर्माण से संबंधित है। निर्णय निर्माण निर्देशन का आवश्यक तत्त्व नहीं है जबकि परामर्श का यह एक आवश्यक तत्त्व है ।
  10. कालावधि में अन्तर (Difference in duration )— निर्देशन प्रक्रिया तथा परामर्श प्रक्रिया की.कालावधि में भी अन्तर पाया जाता है। निर्देशन की कालावधि अपेक्षाकृत छोटी होती है। किसी व्यक्ति को आवश्यक निर्देशन देने के बाद यह प्रक्रिया समाप्त हो जाती है । जैसे—व्यावसायिक निर्देशन में व्यक्ति विशेष की योग्यता, रुचि एवं मनोवृत्ति आदि के अनुकूल किसी विशेष व्यवसाय का निर्देशन देने के बाद इसकी प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। लेकिन, परामर्श में व्यक्ति को किसी विशेष व्यवसाय की सलाह देने के बाद भी यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जबतक कि व्यक्ति आपने व्यवसाय में समायोजित नहीं हो जाता है।

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