परामर्श से क्या तात्पर्य है ? परामर्श की परिभाषा एवं विशेषताओं का वर्णन करें ।
(1) परामर्श का शाब्दिक अर्थ(2) परामर्श का परिभाषीय अर्थ ।
(1) परामर्श का शाब्दिक अर्थ – परामर्श शब्द का प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आया है। वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार–” परामर्श का आशय पूछताछ, पारस्परिक तर्क-वितर्क अथवा विचारों का पारस्परिक विनिमय है । ”
(2) परामर्श का परिभाषीय अर्थ – परामर्श के अर्थ के और भी स्पष्टीकरण हेतु विद्वानों द्वारा प्रदान की गई कुछ परिभाषाएँ द्रष्टव्य हैं—
कार्ल रोजर्स के अनुसार — “एक निश्चित रूप से निर्मित स्वीकृत सम्बन्ध है जो उपबोध्य को अपने को उस सीमा तक समझने में सहायता करता है जिसमें वह अपने ज्ञान के प्रकाश में विद्यात्मक कार्य में अग्रसर हो सके । ”
गिलबर्ट रेन के अनुसार–” परामर्श सर्वप्रथम एक व्यक्ति सन्दर्भ का परिसूचक है। इसे सामूहिक रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है । सामूहिक परामर्श जैसा शब्द असंगत है तथा व्यक्तिगत परामर्श जैसा शब्द भी संगत नहीं है, क्योंकि परामर्श सदैव व्यक्तिगत रूप में ही सम्पन्न हो सकता है । ”
रॉबिन्सन के अनुसार—“ परामर्श शब्द जो व्यक्तियों के सम्पर्क की उन सभी स्थितियों का समावेश करता है जिनमें एक व्यक्ति को उसके स्वयं के एवं पर्यावरण के बीच अपेक्षाकृत प्रभावी समायोजन प्राप्त करने में सहायता प्राप्त की जाती है । ”
बरनार्ड तथा फुलमर के अनुसार- ” परामर्श को उस अन्तरवैयक्तिक सम्बन्ध के रूप में देखा जा सकता है जिसमें वैयक्तिक तथा सामूहिक परामर्श के साथ-साथ वह कार्य भी सम्मिलित हैं जो अध्यापकों एवं अभिभावकों से सम्बन्धित हैं और जो विशेष रूप से मानव सम्बन्धों के भावात्मक पक्षों को स्पष्ट करता है । ”
हम्फ्री तथा ट्रेक्सलर के अनुसार “ परामर्श विद्यालय तथा अन्य संस्थाओं के कर्मचारियों की सेवाओं का व्यक्तियों की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाने वाला उपयोग है।”
रॉबिन्स के अनुसार– “परामर्श के अन्तर्गत व समस्त परिस्थितियाँ सम्मिलित कर ली जाती है, जिनके आधार पर परामर्श प्राप्तकर्ता को अपने वातावरण में समायोजन हेतु सहायता प्राप्त होती है । परामर्श का सम्बन्ध दो व्यक्तियों से होता है – परामर्शदाता एवं परामर्शप्रार्थी । कोई भी परामर्शप्रार्थी अपनी समस्याओं का समाधान बिना किसी सुझाव के स्वयं ही करने में सक्षम नहीं हो सकता है। उसकी समस्याओं का समाधान व उससे सम्बन्धित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी-न-किसी प्रकार के वैज्ञानिक सुझावों की आवश्यकता होती है और ये वैज्ञानिक सुझाव ही परामर्श कहलाते हैं । ”
जॉर्ज ई. मायर्स के अनुसार– ” परामर्श का कार्य तब सम्पन्न होता है जब यह सेवार्थी को अपने निर्णय स्वयं लेने के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण विधियों का उपयोग करके सहायता प्रदान करता है। परामर्श स्वयं उसके लिए निर्णय नहीं लेता है । वस्तुतः इस प्रक्रिया में सेवार्थी हेतु स्वयं निर्णय लेना उतना ही असंगत है जितना कि बीजगणित के शिक्षण में शिक्षार्थी के लिए प्रदत्त समस्या का समाधान शिक्षक के द्वारा स्वयं करना है । ”
एडमण्ड विलियमसन के अनुसार- “एक प्रभावी परामर्शदाता उसी को कहा जाता है जो अपने विद्यार्थियों को अपनी सेवाओं को प्राप्त करने की दिशा में प्रोत्साहित कर सके तथा जिसके फलस्वरूप उन्हें सन्तोष एवं सफलता प्राप्त हो सके । वस्तुतः परामर्श तो एक प्रकार का ऐसा समाधान है जिसके आधार पर सेवार्थी को अपनी समस्याओं का समाधान करने से सम्बन्धित अधिगम होता है । ”
विली तथा एण्ड्र के अनुसार- “ये पारस्परिक रूप से सीखने की प्रक्रिया है तथा इसके अन्तर्गत दो व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। एक सहायता प्राप्तकर्त्ता और दूसरा वह व्यक्ति जो इस प्रथम व्यक्ति की सहायता इस प्रकार करता है कि उसका अधिकतम विकास हो सके ।”
जोन्स के अनुसार — ” परामर्श एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए जिसके अन्तर्गत परामर्शप्रार्थी को प्रत्यक्ष एवं व्यक्तिगत रूप में सहायता प्रदान की जाती है । ”
रूथ स्ट्रैंग के अनुसार– “परामर्श प्रक्रिया एक संयुक्त प्रयास है। विद्यार्थी का उत्तरदायित्व स्वयं को समझाने की चेष्टा करना तथा उस मार्ग का पता लगाना है जिस पर उसे जाना है तथा जैसे ही समस्या उत्पन्न हो, उसके समाधान के लिए आत्मविश्वास का विकास होना है । परामर्शदाता का उत्तरदायित्व इस प्रक्रिया में जब कभी छात्र को आवश्यकता हो, सहायता प्रदान करना है । ”
रोलो में के अनुसार — “परामर्शप्रार्थी को सामाजिक दायित्वों को सहर्ष स्वीकार कराने में सहायता करना, उसे साहस देना, जिसमें उसमें हीन भावना उत्पन्न न हो तथा सामाजिक एवं व्यवहारिक उद्देश्यों की प्राप्ति में उसकी सहायता करना है। ”
इरिक्सन ने रोलो में के विपरीत परामर्श को परामर्शप्रार्थी केन्द्रित मानते हुए अपने विचार इन शब्दों में व्यक्त किए– “एक परामर्श साक्षात्कार व्यक्ति से व्यक्ति का सम्बन्ध है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी समस्याओं तथा आवश्यकताओं के साथ दूसरे व्यक्ति के पास सहायता हेतु जाता है।”
विशेषताएँ (Characteristics) — उपयुक्त परिभाषाओं के आधार पर परामर्श की विशेषताएँ निम्न प्रकार ज्ञात होती हैं—
- परामर्श में शिक्षण की भाँति निर्णय नहीं लिया जाता है, अपितु परामर्शप्रार्थी स्वयं निर्णय लेता है ।
- परामर्शदाता सम्पूर्ण परिस्थितियों के आधार पर समायोजन हेतु प्रार्थी को जानकारी प्रदान करता है और उसकी सहायता भी करता ।
- परामर्श वैयक्तिक सहायता प्रदान की प्रक्रिया है । इसे सामूहिक रूप में सम्पादित नहीं किया जाता है ।
- परामर्श द्वारा प्रार्थी को अपनी सेवाओं को प्राप्त करने की दिशा में प्रोत्साहित कर सके तथा जिसके फलस्वरूप उसे सफलता एवं सन्तोष प्राप्त हो सके ।
- परामर्श की प्रक्रिया निर्देशीय अधिक होती है । इसमें प्रार्थी के सम्बन्ध में समूह तथ्यों का संकलन करके सम्बन्धित अनुभवों पर बल दिया जाता ।
- परामर्श में शिक्षण प्रार्थी को सामाजिक उत्तरदायित्वों को सहर्ष स्वीकार करने में सहायता, साहस प्रदान किया जाता है, जिससे उसमें हीन भावना न विकसित हो ।
- इस प्रक्रिया में प्रार्थी की समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, अपितु उसे स्वयं ही इस योग्य बना दिया जाता है कि वह अपनी समस्याओं का समाधान कर सके ।
- परामर्श की प्रक्रिया प्रार्थी केन्द्रित होती है जिसमें पारस्परिक विचार-विमर्श, वार्तालाप तथा सौहार्द्रपूर्ण तर्क-वितर्क के आधार पर प्रार्थी को इस योग्य बनाया जाता है कि वह अपनी समस्याओं के समाधान के लिए स्वयं निर्णय ले सके ।
- परामर्श की प्रक्रिया में प्रार्थी का उत्तरदायित्व स्वयं को समझना तथा उस मार्ग को सुनिश्चित करना है जिस ओर उसे अग्रसर होना है।
- परामर्श की प्रक्रिया द्वारा आत्मविश्वास का विकास किया जाता है।
- परामर्श: साक्षात्कार आधारित होता है ।
- परामर्श की प्रक्रिया दो व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्ध पर आधारित है।
- परामर्श के फलस्वरूप परामर्शप्रार्थी की भावनाओं में परिवर्तन आता है ।
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