पुस्तकालयाध्यक्ष की भूमिका का वर्णन करें ।
- अच्छी पुस्तकों का उचित प्रसार करना ।
- विभिन्न स्तरों के लिए उपयोगी पुस्तक-सूची तैयार करना और उसे वितरण करवाना ।
- नोटिस बोर्ड पर ‘पुस्तक समीक्षा’ लगाना ।
- पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन करना ।
- सामूहिक अध्ययन प्रयोजनों का निरीक्षण करना ।
- बच्चों को पुस्तकों के उपयुक्त चयन में सम्मति देना, सामान्य तथा सन्दर्भ पुस्तकों के प्रति जानकारी करवाना ताकि वे व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से यदि किसी योजना पर कार्य कर रहे हैं तो पुस्तकों से सामग्री एकत्रित कर सकें अथवा अपनी पाठ्य-पुस्तकों या सहायक कार्यक्रमों में पुस्तकों से लाभ उठा सकें ।
- पुस्तकालय बजट तैयार करना और पुस्तकालय समिति की सहायता से पुस्तकों की खरीद करना ।
- प्रतिवर्ष पुस्तकों की संख्या की पड़ताल करना (Stock taking) तथा फटी-पुरानी पुस्तकों की मरम्मत का उचित प्रबंध करना ।
- दृश्य-श्रवय साधनों अर्थात् प्रोजेक्ट, टेप रिकॉर्ड आदि के प्रयोग से परिचित होना ।
- पुस्तकालय कक्ष को सौन्दर्य स्थल बनाना ।
- पुस्तकालय कक्ष की सफाई पर विशेष ध्यान देना
पुस्तकालयाध्यक्ष शिक्षालय के समस्त शैक्षिक कार्यविधि का एक अनिवार्य केन्द्र तथा प्रेरणा स्रोत है ।
पुस्तकालय के नियम- दूसरे अन्य नियमों के साथ निम्नलिखित नियमों का पालन अत्यन्तावश्यक है ।
(क) पुस्तकालय के लिए पीरियड निश्चित किए जाएँ ।
(ख) पुस्तकों के बदलने तथा बाँटने के लिए निश्चित समय हो ।
(ग) बच्चों को विशेष रूप से सूचित किया जाए कि वे पुस्तकों को न तो गन्दा करें और न ही उन्हें बिगाड़ें ।
(घ) उन्हें पुस्तकालय में अध्ययन-वातावरण बनाने के लिए प्रेरित किया जाए । पुस्तकों का अध्ययन, पुस्तकें ले जाना, पुस्तकें लौटाना इत्यादि कार्य की पुस्तकालय में किया जाएँ । थूकना, लड़ना, झगड़ना, सोना, बातें करना, शोर करना, सिगरेट पीना इत्यादि इन सबका पुस्तकालय में कड़ा निषेध हो ।
पुस्तकालय में पुस्तक सूची तथा पुस्तकों का वर्गीकरण- पुस्तकों की व्यवस्था किसी क्रम में होनी चाहिए और यह क्रम किसी गत्ते पर लगाकर लटका देना चाहिए | टैगोर ने लिखा है कि पुस्तकालय सामान्य रूप से अपने मुँह से बोले, “यह मेरी सूची है, आओ, छाँटो और ले लो।” परंतु प्रचलित सूची-पत्र ऐसे हैं जिनमें कोई निमंत्रण नहीं, कोई परिचय नहीं, कोई उत्साह नहीं, जरा भी स्वागत नहीं । केवल पुस्तकालय ही सबसे अच्छा अतिथि सेवक हो सकता है, जो कि पाठक अतिथियों को निमंत्रित करके उन्हें मनचाहा प्रीतिभोज दे सकता है । केवल यही एक भाव है, जो कि एक पुस्तकालय को वास्तव में महान बनाता । यह बात पूर्ण सत्य नहीं है कि पाठक की पुस्तकालय के निर्माता हैं अपितु इसके विपरीत पुस्तकालय भी पाठकों का निर्माण करता है ।
पुस्तकों का वर्गीकरण विषयानुसार उचित है ताकि छात्रों को पुस्तकों के चयन में सुविधा हो । प्रत्येक अलमारी के ऊपर मोटे शब्दों में विषय का नाम लिखा हुआ हो ।
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