भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति तथा जनजातियों के विकास के सुविधाओं के प्रावधान पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति तथा जनजातियों के विकास के सुविधाओं के प्रावधान पर प्रकाश डालें ।
(Throw light on the provisions made by the Government of India for the facilities of SCs and STs.)
उत्तर – भारत सरकार द्वारा अनुसूचित तथा जनजातियों के विकास के लिए सुविधाओं के प्रावधान का संक्षिप्त विवरण (Brief Account of the Provisions Made by the Government of India for the Facilities of SCs and STs)
- नागरिक अधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1976 (Protection of Civil Rights Act, 1976)– अस्पृश्यता को दण्डनीय घोषित करने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम 1955 (Untouchability Offence Act, 1995) संसद द्वारा पारित किया गया था। 1976 में इस कानून में व्यापक संशोधन करके अधिक कठोर बनाया गया और इसका नाम बदलकर नागरिक अधिकार सुरक्षा अधिनियम कर दिया गया। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्न हैं —
- अस्पृश्यता के आधार पर सार्वजनिक पूजा स्थलों पर प्रवेश वं उपासना को रोकने तथा सार्वजनिक तालाबों, कुओं या जल स्रोतों से पानी लेने से रोकने आदि को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है ।
- अस्पृश्यता के आधार पर दुकान, जलपान गृह, होटल, सार्वजनिक अस्पताल आदि में जाने पर रोकने आदि को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है ।
- दण्ड की व्यवस्था (Provision for Punishment) — नागरिक सुरक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने वाले अपराधी के लिए जहाँ जेल और जुर्माने की व्यवस्था है वहाँ उसे 6 वर्ष के लिये संसद या विधानपालिका के चुनाव से वंचित करने का भी प्रावधान है।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलग-अलग राष्ट्रीय आयोग – ( Separate National Commission of Seheduled Castes and Scheduled Tribes)— पहले संविधान के अनुच्छेद 339 के द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रपति द्वारा 1978 में यह आयोग नियुक्त किया गया था जिसमें अब संशोधन किया गया है। यह आयोग इन जातियों से सम्बन्धित सामाजिक और आर्थिक विकास के सम्बन्ध में विचार करते हैं जो केन्द्र सरकार को भेजे जाते हैं। इसी के साथ राष्ट्रपति राज्य सरकारों को भी इन जातियों के कल्याणकारी उचित आदेश देता है ।
- विशेष अधिकारी की व्यवस्था (Provision of Special Officer) — संविधान के अनुच्छेद 338 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की गई है जो इन वर्गों से सम्बन्धित रक्षा उपायों के सभी विषयों का अन्वेषण करके रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजता है। यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों को कार्यवाही के लिए भेजता है।
- लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण (Reservation of Seats in the Lok Sabha and State Legislature) — संविधान के अनुच्छेदों 330 और 332 के अधीन लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान प्रथम आम चुनाव 1952 से ही आरक्षित किये गये हैं। शुरू में यह व्यवस्था केवल 10 वर्ष के लिए की गई थी जो बाद में दस-दस वर्ष बढ़ाकर अब 25 जनवरी, 2025 ई. तक के लिए कर दी गई है । वर्तमान में लोकसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 82 और जनजातियों के लिए 49 स्थान आरक्षित हैं।
- पंचायती राज संस्थाओं तथा नगरीय संस्थाओं में आरक्षण (Reservation of Seats in Panchayati Raj and Urban Institutions) — संविधान 73वें व 74वें संशोधनों (1992) में यह व्यवस्था की गई है कि पंचायती राज की सभी स्तर की संस्थाओं और सभी नगरीय संस्थाओं में इन जातियों के स्थान आरक्षित होंगे इस प्रकार देश में मूल स्तर पर इन में वर्गों की भागीदारी निश्चित कर दी गई है ।
- सरकारी तथा अन्य नौकरियों में आरक्षण (Reservation in Government ud other Services ) – अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को रोजगार दिलाने, सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने तथा सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए सरकार ने लोक सेवाओं में जहाँ आरक्षण दिया है वहाँ राष्ट्रीयकृत बैंकों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व निश्चित करने के लिए उनकी शैक्षिक योग्यता के अंकों, आयु सीमा व अनुभव आवेदन-शुल्क आदि में विशेष छूट दी गई है ।
अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए चलाई जा रही शैक्षिक योजनाएँअनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक विकास के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा निम्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं—
- छात्रवृत्तियाँ – मैट्रिक से पहले शिक्षा के लिए उन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है जिनके माता-पिता शौचालय साफ करने, चमड़ा सफाई आदि करने का कार्य करते हैं । मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं ।
- छात्रावास की सुविधा – मिडिल, हाईस्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति तथा जनजाति की लड़कियों के रहने के लिए छात्रावास स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत धन केन्द्र सरकार और 50 प्रतिशत राज्य सरकार देती है ।
- पुस्तक भण्डार योजना – अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जो विद्यार्थी चिकित्सा या इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं, वहाँ तीन विद्यार्थियों के लिए 5,000 रुपये तक की पुस्तकों का एक सेट दिया जाता है ।
- पूर्व परीक्षा प्रशिक्षण केन्द्र – इन जातियों के विद्यार्थियों को विभिन्न सेवाओं की भर्ती प्रतियोगिता परीक्षाओं के प्रशिक्षण देने के लिए निःशुल्क केन्द्र स्थापित किए गए है।
- अनुसन्धान और प्रशिक्षण-ऐसी संस्थाएँ जो अनुसूचित जातियों तथा जनजातिये के विकास व कल्याण के लिए अनुसन्धान या प्रशिक्षण कार्य में लगी हुई हैं उन्हें शत-प्रतिश धन दिया जाता है ।
- विकास की योजनाएँ – केन्द्र सरकार के सभी विभाग ऐसी योजनाएँ बनाते हैं जिससे इन जातियों का कल्याण हो तथा वे समाज के अन्य वर्गों के समान स्तर प्राप्त कर सकें
- अनुसूचित जाति विकास निगम- सभी राज्यों में इस प्रकार के निगम बनाए हैं । ये निगम अनुसूचित जाति के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं जिससे परिव का विकास हो और इसके साथ ही उन्हें सामाजिक न्याय भी प्राप्त हो सके ।
- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के अन्तर्गत मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर पर अनुसूचित जाति/जनजाति तथा पिछड़े वर्गों की बालिकाओं के लिए दुर्गम क्षेत्रों में आवासीय सुविधाओं के साथ लगभग 2000 विद्यालय खोलने का प्रावधान किया गया है। इनमें से लगभग 1000 विद्यालय खोले जा चुके हैं ।
- नवविद्यालय योजना-नवविद्यालय में अनुसूचित तथा जनजाति छात्रों के लिए सम्बन्धित जिलों में उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण किया गया है ।
- आश्रम स्कूल (Ashram Schools) — आश्रम स्कूलों की योजना 1990-91 में आरम्भ की गई। इसके अन्तर्गत लगभग 400 स्कूल खोलने का प्रावधन किया गया ।
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