मध्यान भोजन कार्यक्रम के उद्देश्य का वर्णन करें ।
उत्तर— 15 अगस्त, 1995 को देश के 2408 ब्लॉकों में यह योजना शुरू की गयी । योजना का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में नामांकन बढ़ाना, उन्हें बनाये रखना, बच्चों की उपस्थिति तथा बच्चों के बीच पोषण स्तर को सुधारना है । वर्ष 1997-98 के अन्त तक इस योजना को देश के सभी ब्लॉकों में लागू कर दिया गया । वर्त्तमान में मध्याह्न भोजन योजना के अन्तर्गत लगभग 12 करोड़ ऐसे बालकों को कवर किया जा रहा है, जो सरकारी या स्थानीय निकायों, सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों तथा शिक्षा गारण्टी योजना एवं वैकल्पिक तथा नवीन शिक्षा स्कीमों के अन्तर्गत चलाये जा रहे केन्द्रों में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । वर्ष 2007 से शिक्षा के उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों (कक्षा VI से VIII तक) को भी इस योजना में शामिल कर लिया गया है ।
इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2001 तक कुछ राज्यों को छोड़कर सिर्फ 100 ग्राम अनाज प्रति छात्र प्रतिदिन की दर से दिया जाता रहा, लेकिन 28 नवम्बर, 2001 को उच्चतम न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फैलता सुनाया जिसमें सभी राज्यों को पका- पकाया मध्याह्न भोजन देने की बात कही गयी । आज लगभग सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में पका-पकाया मध्याह्न भोजन कार्यक्रम चल रहा है। इस कार्यक्रम के लिए अनाज की व्यवस्था भारतीय खाद्य निगम के द्वारा की जाती है एवं भोजन को पकाने तथा गुणवत्ता निर्धारण के लिए दो रुपये प्रति छात्र कन्वर्जन मूल्य का मानक रखा गया है जिसमें से एक रुपये की सहायता मानव संसाधन विकास मंत्रालय करता है । गुणवत्ता के निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्राथमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पोषाहार कार्यक्रम पर एक विशेषज्ञ दल का गठन भी किया गया है । मिड-डे मील कार्यक्रम की आवश्यक गुणवत्ता के लिए निम्न मानक की सिफारिश की गयी है-
- समय से अनाज एवं अन्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना ।
- भोजन पकाने के लिए स्वच्छ पानी तथा बच्चों के खाने के लिए बर्तन की व्यवस्था करना ।
- प्रत्येक स्कूल में किचन शेड एवं भण्डारण की व्यवस्था करना ।
- भोजन में माइक्रोन्यूट्रियेण्ट सप्लीमेण्ट का होना ।
- खाना पकाने के लिए स्थानीय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं, विधवाओं एवं परित्यक्ता को वरीयता दी जाये तथा 200 से अधिक छात्रों पर दो व्यक्तियों को रखा जाये ।
- खाना बच्चों की रुचि के अनुसार होना चाहिए ।
- सामाजिक भेदभाव को कम करना ।
- प्राथमिक कक्षाओं के नामांकन में वृद्धि ।
- छात्रों को स्कूल में पूरे समय तक रोके रखना । विद्यालय छोड़ने की उनकी प्रवृत्ति में कमी लाना ।
- निर्बल आय वर्ग के बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता विकसित करना ।
- छात्रों को पौष्टिक आहार प्रदान करना ।
- विद्यालय में सभी जातियों व धर्मों के छात्र-छात्राओं को एक स्थान पर भोजन उपलब्ध कराकर उनके मध्य सामाजिक सौहार्द्र, एकता व परस्पर भाईचारे की भावना विकसित करना ।
- मध्याह्न भोजन योजना का जनजाति, अनुसूचित जाति और अल्पस्थ के बहुत जिलों के गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में विस्तार
- प्राथमिक विद्यालयों की परिसरों में स्थित पूर्व-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी योजना का विस्तार ।
- मौजूदा घटकों या स्कूलों के लिए सहायता के तौर तरीकों का संशोधन ।
- मध्याह्न भोजन मूल्य सूचकांक का विशेषरूप से मध्याह्न भोजन की वस्तुओं के मूल्य पर आधारित खाने की लागत का संशोधन ।
- उत्तर पूर्वी प्रदेश (NER) को छोड़कर अन्य राज्यों के लिए माल वहन सहायता का संशोधन । इसका 75 रुपये प्रति क्विन्टल की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 150 रुपया प्रति क्विन्टल की गई है ।
- वर्ष 2013-14 और 2014-15 के दौरान रसोइया – सहायकों का मानदेय 1000 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपया और वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 के दौरान रसोइया – सहायक का मानदेय 2000 रुपये प्रति माह किया गया है ।
- खाद्यन्न लागत, खाना पकाने की लागत, माल वहन सहायता तथा रसोईया-सहायक को मिलने वाले मानदेय के लिए कुल पुनरावर्ती केन्द्रीय सहायता के तीन प्रतिशत की दर से प्रबंधन निगरानी और मूल्यांकन दरों का संशोधन ।
- नये स्कूलों के लिए किचन के बर्तन खरीदने और हर 1500 रुपये प्रति स्कूल की दर से केन्द्रीय सहायता की पूर्ति का संशोधन । सहायता की यह राशि केन्द्र और राज्यों के बीच 75 : 25 के अनुपात से और उत्तर- पूर्वी प्रदेश के राज्यों में 90 : 10 के अनुपात से वहन की जाएगी ।
यह जानकारी मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी ।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और मध्याह्न भोजन योजना का एकीकरणमानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के साथ समन्वय के उद्देश्य से सभी राज्यों के शिक्षा विभागों को लिखा है । राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम केन्द्र सरकार की नई पहल है जिसका उद्देश्य जन्म से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की जाँच और प्रबन्धन करना है। इसके तहत जन्म के समय त्रुटियों, कमियों, बीमारियों, बच्चे के विकास में देरी सहित विकलांगता का प्रबन्धन करना भी शामिल है।
वर्तमान वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान स्कूली बच्चों सहित कुल 3 करोड़ 45 लाख बच्चों की इस योजना के तहत जाँच की गई। स्वास्थ्य समस्या वाले करीब 12 लाख बच्चों की पहचान की गई तथा स्वास्थ्य केन्द्र रैफर किए गए ।
राज्यों के दौरे के दौरान मध्याह्न भोजन योजना के लिए संयुक्त समीक्षा मिशनों ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा की है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधि इस सम्बन्ध में समुचित समन्वय सुनिश्चित करने के लिए मध्याह्न भोजन योजना की संरचना में संलग्न है ।
मिड डे मील योजना में सुधार – देश भर में राज्य केन्द्र शासित प्रदेशों में मिड डे मील योजना के अन्तर्गत 25.70 लाख रसोइया सहायकों को काम दिया गया । इन सहायकों को इस कार्य के लिए मानदेय को संशोधित कर 1 दिसम्बर, 2009 से एक हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया तथा साल में कम-से-कम दस महीने कार्य दिया गया । इस कार्य के लिए रसोइया-सहायकों को दिए जाने वाले मानदेय का खर्च केन्द्र और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच 90 : 10 के औसत में उठाया गया, जबकि अन्य राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों तथा केन्द्र के बीच यह औसत 25 : 75 तय किया गया । यदि राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश चाहे तो इस कार्य में किये जाने वाले खर्च में योगदान निर्धारित अनुपात से अधिक भी कर सकते हैं । मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ने लोकसभा में जानकारी दी कि योजना को वर्ष 2009-10 में संशोधन किया गया है। योजना के अन्तर्गत भोजन तैयार करने के लिए वर्ष 2010-11 से प्रत्येक वर्ष खर्च में साढ़े सात प्रतिशत वृद्धि का प्रावधान किया गया । इस खर्च में अन्तिम बार 1 जुलाई, 2014 को वृद्धि की गई । इसके साथ ही मध्याह्न भोजन योजना के अधीन प्रति छात्र आने वाली रसोई की लागत 1 जुलाई, 2014 से निम्नानुसार बढ़ाया गया है-
स्तर | प्रति छात्र प्रतिदिन रसोई लागत | प्रति छात्र प्रतिदिन संशोधित रसोई लागत |
2013-14 | 2014-15 | |
प्राथमिक | 3.34 | 3.59 |
उच्च प्राथमिक | 5.00 | 5.38 |
प्रति छात्र रसोई लागत वर्ष 2010-11 से प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ाई गई है । सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को 1 अप्रैल, 2008 से मध्याह्न योजना के अधीन उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 कक्षा 8) स्तर तक शामिल किया गया है ।
मध्याह्न योजना स्कूल में भोजन उपलब्ध कराने की सबसे बड़ी योजना है जिसमें रोजाना सरकारी सहायता प्राप्त 11.58 लाख से भी अधिक स्कूलों के 10.8 करोड़ बच्चे शामिल हैं।
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