लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है? (उत्तर 30 शब्दों में दें)।
प्रश्न – लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है? (उत्तर 30 शब्दों में दें)।
उत्तर – कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली था, उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था। क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधिक थी। उन दिनों प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक अंग था। ‘असल में वही उसके अस्त्र थे। आज के बदलते परिवेश में परिवर्तन समय में इस आधुनिकता के दौर में सभ्यता के विकास के साथ-साथ अस्त्र के रूप में इसकी आवश्यकता नहीं समझी जा रही है। अब मनुष्य के समान जीवन-यापन नहीं करके आगे बढ़ गया है। इसलिए समयानुसार अपने अस्त्र में भी परिवर्तन कर लिए हैं। प्राचीन समय के लिए अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है। लेकिन आज यह मानवीय अस्त्र के रूप में प्रयुक्त नहीं है।
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