विद्यार्थियों को पुस्तकालय के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करने की उपाय का वर्णन करें ।
प्रश्न – विद्यार्थियों को पुस्तकालय के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करने की उपाय का वर्णन करें ।
उत्तर-
- जहाँ तक सम्भव हो पुस्तकों को खुले सैल्फों में रखा जाए |
- मुख्याध्यापक तथा अध्यापक विद्यार्थियों के सामान्य अध्ययन पर नजर रखें। प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा पढ़ी जाने वाली प्रत्येक पुस्तक का पूर्ण वृत्त रखा जाए । जहाँ पर पुस्तकों के लेन-देन के लिए केवल एक रजिस्टर रखने की पद्धति प्रचलित है, वहाँ यह आवश्यक है कि प्रत्येक विद्यार्थी के लिए रजिस्टर में कुछ पृष्ठ सुरक्षित रख लिए जायें और प्रत्येक विद्यार्थी जितनी पुस्तकें पढ़े उनका तिथि- अनुसार विवरण उन पृष्ठों पर लिखा जाए। ऐसा करने से अध्यापक और मुख्याध्यापक सरसरी नजर से देख सकेंगे कि कौन विद्यार्थी क्या पढ़ चुका है, क्या पढ़ रहा है तथा उसका आवश्यकतानुसार पथ-प्रदर्शन भी किया जा सकता है।
- प्रत्येक विद्यार्थी अपने पास एक दैनिकी रखे जिसमें तिथि- अनुसार वह उन सभी पुस्तकों तथा उनके लेखकों के नाम लिखें, जो उसने पढ़ी हैं तथा प्रत्येक पुस्तक में ऐसे नोट भी लिखे, जो कि उसे अच्छे लगे हों। माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार यदि शिक्षा समाप्ति के समय तक पढ़ी हुई पुस्तकों की दैनिकी तैयार की जाए तो यह एक आकर्षक मानचित्र तैयार हो जाएगा जिससे सम्बन्धित बच्चे के मानसिक विकास तथा साहित्यिक प्रगति के क्रमिक विकास का पता चल सकेगा, जिसकी अत्यन्त आवश्यकता है।
- प्रयत्न किया जाए कि ग्रीष्मावकाश तथा दूसरी लम्बी छुट्टियों में पुस्तकालय खुला रखा जाए ताकि विद्यार्थी इससे लाभ उठा सकें ।
- अवकाश के दिनों में विभिन्न स्कूलों के पुस्तकालयों से विभिन्न स्तरों के विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें इकट्ठी करके उन्हें एक केन्द्रीय स्थान पर रखा जाए तथा विद्यार्थियों को वहाँ जाने के लिए उत्साहित करना चाहिए ताकि वे वहाँ से अपने मनपसंद की पुस्तकें लाकर पढ़ सकें । यह एक अच्छा प्रयोग है, जिसे नगरों में किया जा सकता है ।
- सामयिक विषयों तथा घटनाओं से सम्बन्धित समाचार पत्रों की कतरनों तथा तस्वीरों का पुस्तकालय में प्रदर्शन होना चाहिए ।
- पुस्तकालय की सजावट के लिए विद्यार्थियों की सहायता लेनी चाहिए। इससे अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों में पुस्तकें पढ़ने का उत्साह उत्पन्न होगा ।
- पाठशाला में एक ‘पुस्तक – प्रेमी सभा’ स्थापित की जाए और बच्चों को अच्छी कहानियाँ, अच्छी कविताएँ पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए और सप्ताह में एक दिन वे ऊँचे स्वर से पढ़ें ।
- पुस्तक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए। इससे भी बच्चों को पुस्तकें पढ़ने की प्रेरणा मिलेगी । शीर्षकों, लेखकों तथा पुस्तक विषयों पर विभिन्न प्रश्न पूछें जायें। इससे बच्चों का पुस्तक-ज्ञान बढ़ेगा ।
- पुस्तकें पढ़ने के उपलक्ष्य में बच्चों को पारितोषिक दिए जाएँ। प्रमाण-पत्र भी दिए जा सकते हैं। बच्चों की प्रगति रिपोर्ट’ में एक ऐसा स्तम्भ हो जिसमें प्रतिमास उन पुस्तकों का उल्लेख हो जो कि बच्चे ने उस मास में पढ़ी हों ।
- पुस्तकालय के लिए विशेष पीरियड रखे जाए । इनके उद्देश्य निम्नलिखित हैं ।
(क) बच्चे पुस्तकों की देखभाल करना सीखें। उन्हें पुस्तकों को रखने का ढंग बताया जाए ।(ख) सूची – पत्र तथा अनुक्रमणिका का महत्व बताया जाए ।(ग) उन्हें सन्दर्भ पुस्तकें, कोष तथा एटलस इत्यादि देखने का ढंग आये ।(घ) पुस्तकालय में प्रयुक्त वर्गीकरण योजना से परिचित हो ।(ङ) उन्हें सूची – पत्र का प्रयोग करना आये ।(च) बच्चों को चित्रों, मानचित्रों, रेखाचित्रों, पदार्थों की तुलना, समता इत्यादि करने का ज्ञान हो ।(छ) प्रयोजन कार्य में सहायता ग्रहण कर सकें ।प्रत्येक माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षालय समय-चक्र के विभाग में प्रति सप्ताह कम-से-कम दो पीरियड पुस्तकालय के लिए सुरक्षित रखे जाएँ । कक्षाध्यापक उन पीरियडों के में बच्चों का पथ-प्रदर्शन करें ।
- शिक्षालय (विशेषकर ग्रामीण शिक्षालय) के पुस्तकालय तो स्कूल बंद होने के बाद तक भी खुले रहने चाहिए । सम्भवतः इससे खर्च कुछ अधिक होगा परंतु इससे लाभ ही होगा, क्योंकि इससे शिक्षालय तथा समाज एक-दूसरे के निकट सम्बन्ध में आयेंगे ।
- ऐसे राज्यों में जहाँ पुस्तकालय शुल्क भी लिया जाता है, वहाँ तो पुस्तकालय को और भी विकसित तथा सशक्त रूप से निर्मित किया जा सकता है ।
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