विद्यालय में शारीरिक शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – शारीरिक विकास का महत्व तथा स्कूल में इसके लिए प्रावधान – भारतीय विचारकों ने कहा है कि धर्म की स्थापना स्वस्थ शरीर द्वारा ही हो सकती है । लोहे (Locke) “मेरे के शब्दों में ‘स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर में ही रह सकता है।’ स्वामी विवेकानन्द ने कहा, नौजवान मित्रो ! तुम पहले बलवान बनो । धर्म पीछे आएगा । गीता के मार्ग की अपेक्षा फुटबाल के माध्यम से स्वर्ग अधिक नजदीक है । यदि तुम्हारें पुट्ठे और मांसपेशियाँ अधिक बलशाली होंगी तो गीता अधिक अच्छी तरह समझ में आएगी,” उन्होंने बार-बार कहा, “शक्ति ही जीवन है। दुर्बलता मृत्यु है ।” उनके विचार में हमें शारीरिक बल तथा शक्ति पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना कि जीवन के अन्य पक्षों के विकास पर ।
माध्यमिक शिक्षा आयोग की रिपोर्ट में शारीरिक शिक्षा के अर्थ को इस प्रकार से स्पष्ट किया गया है-“शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य कार्यक्रमों का एक आवश्यक अंग है- शारीरिक शिक्षा केवल ड्रिल व नियमित व्यायाम से कहीं अधिक विस्तृत है। इसमें सभी प्रकार के वे शारीरिक खेल व क्रियाएँ सम्मिलित हैं जिससे मानसिक शारीरिक विकास होता है । ”
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की शारीरिक शिक्षा और मनोरंजन की राष्ट्रीय योजना नामक रिपोर्ट में शारीरिक शिक्षा को स्पष्ट करते हुए कहा गया है – “शारीरिक शिक्षा छात्र के समग्र व्यक्तित्व के विकास के लिए शारीरिक क्रियाओं द्वारा उसके शरीर, मन और आत्मा के पूर्णता प्राप्त कराती है । ”
प्रसिद्ध दार्शनिक रूसो ने कहा कि स्वस्थ शरीर होने पर ही मन की कार्यविधि सुगम तथा सुनिश्चित होती है ।
शारीरिक शिक्षा का निम्न कारणों से महत्व है–
- सामाजिक विकास – इन क्रियाओं में कई बालकों को मिलाकर योजना बनानी पड़ती है और मिलकर ही क्रियाओं का सारा कार्य करना पड़ता है इसलिए वे एक-दूसरे से तथा समाज से सहयोग करना सीखते हैं ।
- अनुशासन की शिक्षा – क्रियाओं के दौरान में वे एक-दूसरे का सहयोग प्राप्त करते हैं। इस प्रकार उन्हें अनुशासन की शिक्षा मिलती है । उनकी अतिरिक्त शक्ति का भी प्रयोग होता है । वे बुरी आदतों से तथा बुरे व्यवहार से बचकर अपना समय भली-भांति व्यय करते हैं ।
- ज्ञान में वृद्धि – इन क्रियाओं से ज्ञान में वृद्धि होती है । ऐतिहासिक स्थानों की तथा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों की शैक्षिक भ्रमण यात्रा से बच्चों को अपने देश का इतिहास तथा भूगोल और अपने देशवासियों के सम्बन्ध में ज्ञान मिलता है ।
- मानसिक विकास – शारीरिक क्रियाएँ मानसिक विकास का भी बड़ा अच्छा साधन बनती हैं। कई प्रकार की बड़ी या छोटी खेलें खेलने में मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है और मानसिक शक्ति का प्रयोग होता है । पहाड़ी यात्रा में, ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा में भी मानसिक विकास के अवसर मिलते हैं ।
- शिक्षा में रुचि का बढ़ना – इन क्रियाओं द्वारा बच्चे शिक्षा के कार्य में रुचि लेने लगते हैं। शिक्षा का कार्य एक कठिन कार्य न रहकर एक खेल – सा बन जाता है । इन क्रियाओं से उन्हें मानसिक थकान भी नहीं आती ।
- भावात्मक सन्तुलन – इन क्रियाओं से बच्चों के आवेगों को ठीक ढंग से संयोजन होता है। खेलों में बच्चे क्रोध, घृणा, आत्मगौरव आदि शक्तिशाली समवेगों को शिक्षाप्रद विधि से प्रयोग में लाते हैं ।
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