शिक्षा के सशक्तीकरण में शैक्षिक प्रौद्योगिकी तथा अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें ।

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प्रश्न – शिक्षा के सशक्तीकरण में शैक्षिक प्रौद्योगिकी तथा अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें ।
(Describe the role of educational technology and the teacher in impowerment of education.)

उत्तर – शैक्षिक प्रौद्योगिकी की उपयोगिता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । विश्व के प्रत्येक देश की शैक्षिक संस्थाओं में साधनों की उप धता के अनुसार इसके भरपुर प्रयोग के प्रयास किये जा रहे हैं ।

शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग से अध्यापक अपने छात्रों के व्यवहारों का अध्ययन कर सकता है, समझ सकता है और उनमें वांछित सुधार लाने का प्रयास कर सकता है । उसे विषय-वस्तु के साथ-साथ व्यवहार, अध्ययन और व्यवहार सुधार की प्रणालियों का ज्ञान भी होना चाहिए | शैक्षिक प्रौद्योगिकी इस क्षेत्र में अध्यापक को समर्थ बनाती है । शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षक को शिक्षण उपागमों, शिक्षण व्यूह रचनाओं तथा शिक्षण विधियों के विषय में वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करती है। किस समय, किस प्रकरण को स्पष्ट करने के लिए कौन-सी श्रव्य-दृश्य सामग्री का प्रयोग किया जाए, रेडियो, टेलीविजन का उपयोग कर किस प्रकार से रेडियो विजन तथा कैसेट विजन का प्रयोग किया जाए तथा छात्रों को अपने सीखने की गति के अनुसार अध्ययन करने के लिए कैसे अभिक्रमित अध्ययन सामग्री तैयार की जाए– इन सबकी जानकारी शैक्षिक प्रौद्योगिकी ही अध्यापक को कराती है।

शिक्षक अपनी शैक्षिक प्रशासन तथा प्रबन्ध से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन करने के लिए प्रणाली उपागम (Systems Apprach) का प्रयोग कर सकता है । वह कक्षा में व्यक्तिगत भिन्नताओं (Individual Differences) की समस्या के समाधान के रूप में अभिक्रमित अनुदेशन का उपयोग कर सकता है ।

शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्यापक को सीखने की प्रभावपूर्ण विधियों तथा सिद्धान्तों का ज्ञान प्रदान करती है, सीखी हुई विषय-वस्तु को स्थायी करने की विभिन्न प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है और छात्रों में सीखने के प्रति प्रेरणा जाग्रत करने में तथा उनकी रूचि बनाये रखने में सहायता करती है । सीखने के क्षेत्र में छात्रों को उनकी गति के अनुसार ही सीखने के सिद्धान्त का पालन करती है । शैक्षिक प्रौद्योगिकी सीखने और सिखाने दोनों ही प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक विवेचन कर शिक्षण अधिगम व्यवस्था बनाये रखती है । शिक्षण के नये प्रतिमानों की देन शैक्षिक प्रौद्योगिकी की ही है जो हमें अधिगम और शिक्षण के स्वरूप को समझाते हैं ।

इसमें कोई सन्देह नहीं कि शिक्षक का कोई भी कार्य हो–चाहे पाठ-योजना बनाने का, शिक्षण बिन्दुओं के चयन का, पढ़ाने की अच्छी विधियों को चुनने का या छात्रों को समझने का अथवा अपनी शिक्षण समस्याओं को सुलझाने का और अपने शिक्षण व्यवसाय को एक व्यवसाय के रूप में विकसित करने का शैक्षिक प्रौद्योगिकी, शिक्षक को प्रत्येक पद पर, प्रत्येक पहलू पर तथा प्रत्येक बिन्दु पर निर्देशन देती है और उसकी पूर्ण रूप से सहायता करती है । आज के युग में शिक्षक बिना शैक्षिक प्रौद्योगिकी का सहारा लिये एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता ।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में प्रभावशाली शिक्षक तैयार करने के लिए माइक्रो टीचिंग, मिनी टीचिंग, सीमुलेटेड टीचिंग तथा टी. ट्रेनिंग आदि नवीन विधियों का प्रयोग करने के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी दिशा निर्देश प्रदान करती है ।

संक्षेप में, शैक्षिक प्रौद्योगिकी एक शिक्षक को सफल अध्यापक बनाने और अपने कार्यों को सही ढंग से सम्पादित करने में निम्न रूप से सहायता करती है—

  1. शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षण को वैज्ञानिक आधार प्रदान करके इसे सुव्यवस्थि स्वरूप प्रदान करती है। इससे शिक्षक को अपनी शिक्षण क्रियाओं की उचित व्यवस्था करने में सहायता मिलती है ।
  2. उद्देश्यों के आधार पर शैक्षिक प्रौद्योगिकी, कक्षा शिक्षण सम्बन्धी विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण करने और उन्हें व्यवहारपरक शब्दावली में लिखने में शिक्षक की सहायता करती है ।
  3. शैक्षिक प्रौद्योगिकी विज्ञान, कला व मानवीय गुणों को आत्मसात् करने वाले पाठ्यक्रम का निर्माण करती है । शिक्षक इसी आधार पर छात्रों के लिए अनुदेशनात्मक सामग्री का चयन और विश्लेषण करता है तथा उसे क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित करता है। इस कार्य के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी शिक्षण सिद्धान्तों व शिक्षण सूत्रों के रूप में अध्यापक की सहायता करती है ।
  4. शैक्षिक प्रौद्योगिकी उचित शिक्षण युक्तियों व साधनों का पता लगाती है और शिक्षक को उचित शिक्षण अधिगम सामग्री व साधनों की संरचना, कार्य प्रणाली व प्रयोग की जानकारी कराती है ।
  5. शैक्षिक प्रौद्योगिकी अधिगम मनोविज्ञान के विकास द्वारा बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का पता लगाती है । इसकी सहायता से शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं (मानसिक स्तर, रुचियों, योग्यताओं एवं आवश्यकताओं) के आधार पर शिक्षण प्रक्रिया का नियोजन करता है और पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति में सफलता प्राप्त करता है ।
  6. शैक्षिक प्रौद्योगिकी शैक्षिक वातावरण में उपस्थित प्रतिकूल परिस्थितियों की सम्भावना का पता लगाकर उन्हें दूर करने के तरीके बताती है जिससे शिक्षक को शैक्षिक वातावरण पर नियन्त्रण बनाये रखने में सहायता मिलती है ।
  7. शैक्षिक प्रौद्योगिकी दूरदराज के पिछड़े इलाकों में रहने वाले जनसामान्य को शिक्षा की सुविधाएँ प्रदान करने के लिए नई-नई युक्तियों को खोजती है व उनका विकास करती है । इसी के कारण आज शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में रेडियो, टेलीविजन, टेपरिकॉर्डर आदि का प्रयोग कर रहे हैं और दूरदराज में बैठे लोग इसका लाभ उठा रहे हैं ।
  8. शैक्षिक प्रौद्योगिकी छात्रों में अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन लाने का कार्य करती है । इस सम्बन्ध में कक्षा शिक्षण अधिगम के परिणामों की जाँच करने के लिए विभिन्न मूल्यांकन तकनीकों को विकसित करती है, जिनकी सहायता से शिक्षक अपने शिक्षण अधिगम कार्य के परिणामों की जाँच कर सकता है । शैक्षिक तकनीकी की सहायता से शिक्षक के व्यवहार का मूल्यांकन व मापन हो सकता है । इसके सन्तोषजनक परिणाम न आने पर शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाने का प्रयास करता है।
  9. छात्रों की कमजोरियों का निदान कर उनमें सुधार लाने के लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी ने अनेक प्रविधियाँ विकसित की हैं। इनके प्रयोग से अध्यापक अपने छात्रों को उचित प्रतिपुष्टि प्रदान करता है और शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में यथेष्ट सुधार लाकर उद्देश्य प्राप्त करने का प्रयास करता है ।
  10. शैक्षिक प्रौद्योगिकी नवीन शिक्षण विधियों, तकनीकों एवं व्यूह रचनाओं को विकसित करती है और उनके प्रयोग के बारे में अध्यापक का मार्गदर्शन करती है। इससे शिक्षक को अपने प्रयोग के लिए विषय-वस्तु के प्रस्तुतीकरण से सम्बन्धित विधियों, युक्तियों व व्यूह रचनाओं का चयन करने व प्रयोग करने में सहायता मिलती है ।

इसमें कोई सन्देह नहीं कि शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्यापक की कार्य कुशलता में वृद्धि करती है | शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक, सरल व प्रभावशाली बनाने में शिक्षक की बहुत अधिक सहायता करती है। शिक्षा की संरचना व उसकी प्रकृति को स्पष्ट करके शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्यापक को नये-नये अनुसंधान के लिए प्रेरित करती है जिससे शिक्षण में गुणात्मक उन्नति सम्भव हो सके । शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्यापक को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करती है । इसके प्रयोग से अध्यापक के समय तथा शक्ति की बचत होती है । शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्यापक को अनेक समस्याओं का उचित समाधान तलाश करने में सहायता प्रदान करती है ।

शैक्षिक प्रौद्योगिकी के विकास ने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अत्यन्त सरस व सरल बना दिया है | आज अध्यापक कम से कम शक्ति लगाकर, कम से कम समय में अधिक से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान कर सकता है ।

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