शिक्षा में अवसरों की असमानता के कारण एवं दुष्प्रभाव की विवेचना करें ।

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प्रश्न – शिक्षा में अवसरों की असमानता के कारण एवं दुष्प्रभाव की विवेचना करें ।
(Discuss the reasons and harmful effects of Inequality in education.)
उत्तर – शिक्षा में अवसरों की असमानता के कारण-कोठारी शिक्षा आयोग के अनुसार ‘शिक्षा में अवसर की समानता’ न मिलने के निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं—
  1. शैक्षिक सुविधाओं का अभाव – देश के अनेक भागों में माध्यमिक और उच्च शिक्षा की संस्थाओं की तो बात ही दूर है प्रारम्भिक शिक्षा की संस्थाओं का भी अभाव रहा है। ऐसे क्षेत्रों के बच्चों को वे शैक्षिक सुविधाएँ कैसे प्राप्त हो सकती हैं जो बड़े-बड़े नगरों में (अथवा छोटे नगरों में भी) सरलता से प्राप्त हो जाती हैं। यही कारण है कि भारत के विभिन्न राज्यों में शिक्षा का प्रसार असमान गति से हुआ है और अब भी हो रहा । बहुत से वन्य एवं पहाड़ी क्षेत्रों में मीलों तक कोई विद्यालय नहीं पाया जाता रहा है । इस प्रकार देश के भिन्न-भिन्न भागों में शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भिन्न-भिन्न हैं।
  2. जनसंख्या के बड़े अंश की गरीबी – देश में गरीबी बहुत बड़े पैमाने पर है और भरसक प्रयत्नों के साथ स्वतन्त्र शासन इस गरीबी को मिटाने में सफल नहीं हुआ । अतः गरीब परिवारों के बच्चे भला धनी परिवारों के बच्चों के समान शिक्षा का अवसर कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? बहुत से अभागे बच्चों को होश सँभालते ही अपनी जीविका अर्जन करने में लग जाना पड़ता है ।
  3. उनके अध्यापक-अध्यापिकाएँ अधिक शिक्षित, योग्य एवं प्रतिभासम्पन्न परिवारों से सम्बद्ध होता है । उनके आर्थिक स्थिति अच्छी होने के कारण वे शिक्षा में अधिक रुचि एवं परिश्रम से कार्य कर सकते हैं। ऐसी संस्थाओं में शिक्षा पाने वाले छात्र अवश्य ही भाग्यशाली कहे जाएँगे । उनकी उत्तम कोटि का वातावरण, दृश्य-श्रव्य साधन तथा अनौपचारिक शिक्षा एवं पाठ्येत्तर कार्यकलापों के लिए अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं। गाँव के या शहर के ही सामान्य विद्यालयों के छात्र उनकी बराबरी कैसे कर सकते हैं ?
  4. घरेलू परिवेश में अन्तर – सभी बच्चों का घरेलू परिवेश एक समान नहीं होता । गरीब घरों के बच्चों को घर पर पढ़ाई की सुविधा प्राय: नहीं के बराबर होती है। जिस परिवार में अनेक पीढ़ियों से शिक्षा की प्रथा चली आ रही है, उसके बच्चों से उस परिवार का बच्चा क्या तुलना कर सकता है जिसके पूर्व पुरुष तो क्या, माता-पिता भी निरक्षर हैं और जिसका सामाजिक स्तर भी अत्यन्त निम्न है ?
  5. भारतीय समाज में बालक-बालिकाओं की असमानता– प्रायः देखा जाता है कि सामाजिक कारणों से बालक की परिवार में जो महत्त्व होता है वह बालिका को नहीं प्राप्त होता । बालक से परिवार भविष्य में आर्थिक लाभ की आशा रखता है जबकि बालिका को परिवार बोझ मानता है। अतः बालक की शिक्षा पर स्वभावतः अधिक व्यय किया जाता है और बालिकाओं की शिक्षा उपेक्षित – सी रहती है। अतः दोनों को समान अवसर नहीं मिलते । बालकों को इधर-इधर जाने और जीवन में अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करने की जो स्वतन्त्रता होती है वह बालिकाओं को नहीं प्राप्त होती । अतः दोनों की शैक्षिक उपलब्धियों में अन्तर होता है ।
  6. वर्गीय असमानता – सम्पन्न वर्ग एवं निर्धन वर्ग में पर्याप्त अन्तर होता है । सम्पन्न घरों के बच्चों को घर पर भी अनेक सुविधाएँ ( पड़ने के लिए स्थान, उपकरण, अध्यापक, पुस्तकें, सन्दर्भ ग्रन्थ, पढ़े-लिखे सदस्यों का सम्पर्क इत्यादि) होती हैं । वे पब्लिक या सैनिक स्कूलों में प्रवेश पा जाते हैं अथवा अपेक्षाकृत अच्छे स्तर के विद्यालयों में उन्हें स्थान मिल जाता है । इसके विपरीत गरीब घरानों के बच्चों को अपेक्षाकृत पिछड़े स्कूलों में स्थान मिलता । घर पर कोई सुविधा तो होती ही नहीं, कभी-कभी खाने-पहनने और पठन सामग्री में भी कटौती करनी पड़ती है ।
असमानता के दुष्प्रभाव (Harmful Effects of Inequality) — अवसरों की असमानता के कारण निम्नलिखित सामाजिक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं—
  1. समाज में सामाजिक असमानता बढ़ रही हैं ।
  2. विभिन्न क्षेत्रों में असमानता बढ़ रही है ।
  3. राजकीय तथा राजकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों के शिक्षा के अवसर तो मिल रहे हैं परन्तु शैक्षिक सुविधाओं की कमी के कारण शिक्षा के स्तर गिर रहे हैं । इस कारण सामाजिक खाई पाटने के स्थान पर बढ़ रही है ।
  4. असमानता के कारण प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में भी कई प्रकार की विषमताएँ आ गई हैं ।
  5. असमानता के कारण समाज में असामाजिक तत्त्व पनप रहे हैं ।
  6. असमानता के कारण अलगाववाद बढ़ रहा है ।
  7. असमानता के कारण राष्ट्रीय समाकलन में बाधाएँ आ रही हैं ।

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