सामाजिक सांस्कृतिक तथा आर्थिक दृष्टि से समाज के वंचित वर्गों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – भारतीय संविधान में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक दृष्टि से वंचित वर्गों को परिभाषित नहीं किया गया है। इस प्रकार इस पावली का प्रयोग भारतीय शिक्षा आयोग (1964-66) तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968, 1986 तथा 1992 में भी नहीं किया गया है ।
सामान्यतः कहा जा सकता है कि सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक दृष्टि से वंचित वे लोग हैं जिनका शताब्दियों से शोषण होता आया है। उन्हें समाज के अन्य वर्ग हीन दृष्टि से देखते हैं । इन समूहों की भी अलग पहचान होती है ।
- सामाजिक दृष्टि से वंचित वर्ग (Socially Deprived Sections) — इस वर्ग के लोगों को ऊंचे वर्गों के लोगों के सम्पर्क से प्रायः वंचित रहना पड़ा है। ये अलग समुदायों में रहते हैं। समाज में इनका स्तर बहुत निम्न माना जाता है। इन्हें सार्वजनिक स्थान जैसे नहाने के घाट, तालब, कुएँ, होटल तथा शैक्षिक संस्थान – जिनका उपयोग उच्च जाति के लोग करते हैं, उनसे वंचित रखा गया । इस वर्ग के लोग जब उच्च वर्ग के पास जाते थे, झुककर अभिवादन करते थे। उनसे हाथ मिलाकर अभिवादन नहीं कर सकते थे ।
स्वतन्त्रता से पूर्व अनेक ऐसे स्थान थे जहाँ पर केवल अंग्रेज ही जा सकते थे । भारतीय अपने ही देश में अनेक बराबरी की सुविधाओं से वंचित थे । गाँधीजी को दक्षिण अफ्रीका में रेल की प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे उतार दिया गया था क्योंकि वहाँ पर एक अंग्रेज को बैठना था ।अनेक भारतीय गाँवों में अब भी सामाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग उस चारपाई पर नहीं बैठ सकते जिस पर उच्च वर्ग के लोग बैठते हैं ।
- सांस्कृतिक दृष्टि से वंचित लोग (Culturally Deprived Sections) – समाज में अनेक ऐसे वर्ग हैं जिन्हें सदियों तक मन्दिरों में प्रार्थना करने की मनाही थी । वे उच्च लोगों के साथ अभिनय आदि में भाग नहीं ले सकते थे । उनके उठने-बैठने के ढंग परम्परागत है । विवाह ऊंची जातियों में नहीं कर सकते हैं ।
- आर्थिक दृष्टि से वंचित लोग (Economically Deprived Sections) – वे जीवन निर्वाह बड़ी कठिनाई से करते हैं। उन्हें पेट भरने के लिए भोजन प्राप्त नहीं होता है । सड़कों पर रात को सोते हैं। उन्हें कोई ऊँचा व्यवसाय नहीं मिल सकता है । कड़ी मेहनत के बाद भी उनकी आय बहुत कम है।
ये वर्ग प्रायः इस प्रकार हैं – ( 1 ) अनुसूचित जातियाँ । (2) अनुसूचित जनजातियाँ । (3) मैला उठाने वाले वर्ग । (4) झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले वर्ग । (5) दूरदराज स्थानों पर रहने वाले वर्ग । (6) पहाड़ियों पर रहने वाले वर्ग | (7) जंगलों में रहने वाले वर्ग । (8) गन्दी बस्तियों में रहने वाले वर्ग । (9) फेरी लगाने वाले वर्ग । (10) अल्पसंख्यक वर्ग । ( 11 ) लोहार बढ़ई आदि वर्ग । (12) घरों में छोटे-मोटे काम करने वाले । (13) निर्धनता रेखा से नीचे वर्ग । (14) खेती पर काम करने वाले श्रमिक । (15) कारखानों में काम करने वाले श्रमिक आदि तथा (16) महिलाएँ ।
सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक दृष्टि से वर्गों की विशेषताएँ –
- निम्न जीवन स्तर ।
- दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं का अभाव ।
- निरक्षर ।
- निर्धनता का शिकार ।
- भाग्यवादी ।
- हीन भावना |
- नकारात्मक दृष्टिकोण |
- निराशावादी ।
- परम्परागत व्यवसाय |
- वांछित अभिप्रेरणा का अभाव ।
- अलग-थलग
- सीमित जीवन अनुभव।
- बड़ा परिवार ।
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