सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पर प्रकाश डालें ।

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प्रश्न – सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पर प्रकाश डालें । 
(Throw light on the act of Right Information, 2005.) 
उत्तर – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (2005 का अधिनियम संख्यांक – 22)—
15 जून, 2005
प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्द्धन के लिए,
लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने
के लिए नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यावहारिक शासन
पद्धति स्थापित करने, एक केन्द्रीय सूचना आयोग तथा
राज्य सूचना आयोग का गठन करने और उनसे
सम्बन्धित या उनसे आनुषंगिक
विषयों का उपबंध
करने के लिए
अधिनियम
भारत के संविधान ने लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है;
और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी और संस्कारों तथा उनके पकिरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए अनिवार्य हैं;
और वास्तविक व्यवहार में सूचना के प्रकटन से संभवतः अन्य लोकहितों, जिनके अंतर्गत सरकारों के दक्ष प्रचालन, सीमित राज्य वित्तिय संसाधनों के अधिकतम उपयोग और संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखना भी है, के साथ विरोध हो सकता है;
और लोकतंत्रात्मक आदर्श की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बनाना आवश्यक है;
अतः अब यह समीचीन है कि ऐसे नागरिकों को, कतिपय सूचना देने के लिए, जो उसे पाने के इच्छुक हैं, उपबंध किया जाए;
‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120वें दिन) । भारत में भ्रष्टाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है । इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रिकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है | जम्मू एवं काश्मीर को छोड़कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है।
आवश्यक जानकारी RTI के तहत (Important Facts About RTI) —
  1. सूचना का अधिकार क्या है ? – संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत सूचना का अधिकार मौलिक अधिकारों का एक भाग है । अनुच्छेद 19 (1) के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने व अभिव्यक्ति का अधिकार है। 1976 में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘राज नारायण विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार’ मामले में कहा है कि लोग कह और अभिव्यक्त नहीं कर सकते जब तक कि वो न जानें । इसी कारण सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 में छुपा है। इसी मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि भारत एक लोकतंत्र है। लोग मालिक हैं । इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि सरकारें जो उनकी सेवा के लिए हैं, क्या कर रही हैं ? व प्रत्येक नागरिक कर/ टैक्स देता है । यहाँ तक कि एक गली में भीख माँगने वाला भिखारी भी टैक्स देता है जब वह बाजार से साबुन खरीदता है । बिक्री कर, उत्पाद शुल्क आदि के रूप में) । नागरिकों के पास इस प्रकार यह जानने का अधिकार है कि उनका धन किस प्रकार खर्च हो रहा है । इन तीन सिद्धांतों को सर्वोच्च न्यायालय ने रखा कि सूचना का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है।
  2. यदि आरटीआई एक मौलिक अधिकार है, तो हमें यह अधिकार देने के लिए एक कानून की आवश्यकता क्यों है ? – ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि आप किसी सरकारी विभाग में जाकर किसी अधिकारी से कहते हैं, “आरटीआई मेरा मौलिक अधिकार है और मैं इस देश का मालिक हूँ इसलिए मुझे आप कृपया अपनी फाइलें दिखाइए”, वह ऐसा नहीं करेगा व संभवतः वह आपको अपने कमरे से निकाल देगा । इसलिए हमें एक ऐसे तंत्र या प्रक्रिया की आवश्यकता है जिसके तहत हम अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सकें । सूचना का अधिकार 2005, जो 13 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ, हमें वह तंत्र प्रदान करता है । इस प्रकार का अधिकार हमें कोई नया अधिकार नहीं देता, यह केवल उस प्रक्रिया का उल्लेख करता है कि हम कैसे सूचना माँगें, कितना शुल्क दें आदि ।
  3. सूचना का अधिकार कब लागू हुआ ? – केंद्रीय सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ । हालांकि 9 राज्य सरकारें पहले ही राज्य कानून पारित कर चुकी थीं । ये थीं— जम्मू कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम और गोवा |
  4. सूचना के अधिकार के अन्तर्गत कौन से अधिकार आते हैं ? – सूचना का अधिकार 2005 प्रत्येक नागरिक को शक्ति प्रदान करता है कि वह –
    • सरकार से कुछ भी पूछे या कोई भी सूचना माँगे ।
    • किसी भी सरकारी निर्णय की प्रति ले ।
    • किसी भी सरकारी दस्तावेज का निरीक्षण करे ।
    • किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करे ।
    • किसी भी सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले ।
  5. सूचना के अधिकार के अन्तर्गत कौन-से अधिकार आते हैं ? – केन्द्रीय कानून जम्मू-कश्मीर राज्य के अतिरिक्त पूरे देश पर लागू होता है । सभी इकाइयाँ जो संविधान या अन्य कानून या किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बनी हैं या सभी इकाइयाँ जिनमें गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं जो सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्त पोषित किये जाते हों ।
  6. क्या निजी इकाइयाँ सूचना के अधिकार के अन्तर्गत आती हैं ? — सभी निजी इकाइयाँ, जोकि सरकार की है, सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्त पोषित की जाती हैं, सीधे ही इसके अन्तर्गत आती हैं। अन्य अप्रत्यक्ष रूप से इसके अन्तर्गत आती हैं अर्थात् यदि कोई सरकारी विभाग किसी निजी इकाई से किसी अन्य कानून के तहत सूचना ले सकता हो तो वह सूचना कोई नागरिक सूचना के अधिकार के अन्तर्गत उस सरकारी विभाग से ले सकता है ।
  7. क्या सरकारी दस्तावेज गोपनीयता कानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा नहीं है ?—नहीं, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार कानूनों का स्थान ले लेगा ।
  8. क्या पीआईओ सूचना देने से मनाकर सकता है ? – एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 8 में दिए गए हैं। इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना, विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएँ आदि । सूचना अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गयी है जिन पर ये लागू नहीं होता । हालांकि उन्हें भी वे सूचनाएँ देनी होंगी जो भ्रष्टाचार के आरोपों व मानवाधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित हों ।
  9. RTI की सूचना कौन देगा ? – एक या अधिक अधिकारियों को प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) का पद दिया गया है । ये जन सूचना अधिकारी प्रधान अधिकारियों के रूप में कार्य करते हैं, आपको अपनी अर्जी इनके पास दाखिल करनी होती है । यह उनका उत्तरदायित्व होता है कि वे उस विभाग के विभिन्न भागों से आपके द्वारा माँगी गयी जानकारी इकट्ठा करें व आपको प्रदान करें, इसके अलावा, कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर सेवायोजित किया गया है, उनका कार्य केवल जनता से अर्जियाँ स्वीकारना व उचित पीआईओ के पास भेजना है ।
  10. RTI की अर्जी कहाँ जमा होती है ? — आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं । केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं, वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वह उसे उचित पीआईओ के पास भेजे ।

टिप्पणी (Observation ) – भारतीय संविधान में शिक्षा के विकास पर बहुत महत्त्व दिया गया है। शिक्षा को व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का प्रमुख साधन माना गया है ।

शिक्षा में सभी वर्गों को समान अवसर मिलें, इस पक्ष पर विशेष ध्यान गया है। भारत में अनेक वर्ग ऐसे हैं, जिनमें शिक्षा की बहुत कमी रही है । इन सभी वर्गों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

भाषा सम्बन्धी अनेक प्रावधान दिये गये हैं। प्रत्येक प्रकरण पर अलग से चर्चा की गई है ।

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