स्कूल में पुस्तकालय के संगठन की विवेचना करें ।

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प्रश्न – स्कूल में पुस्तकालय के संगठन की विवेचना करें । 
उत्तर – टैगोर ने एक अच्छे पुस्तकालय की बड़े सुन्दर शब्दों में व्याख्या की है-“My idea of a small library is one that keeps books on every subject but only select books, not one of which is there merely as an offering of worship to number but each one of which stands on its own merit.” छोटे पुस्तकालय से मेरा तात्पर्य ऐसे पुस्तकालय से है जहाँ प्रत्येक विषय की पुस्तकें हों और वे भी चुनी हुईं। उनमें से कोई भी पुस्तक ऐसी न हो जो पुस्तकालय की केवल शोभा ही बढ़ाये अपितु प्रत्येक पुस्तक का अपना महत्व हो और पुस्तकालय में उसका गुणों के आधार पर अपना विशिष्ट स्थान पुस्तकालयाध्यक्ष में कई विशेषताएँ हों । वह सच्चे अर्थों में पुस्तक – प्रेमी हो । ऊटपटांग या निरर्थक पुस्तकों से अलमारियों को बोझिल बनाने में वह संकोच करे । उसमें चयनशक्ति हो । वह अच्छी-बुरी पुस्तकों का चुनाव कर सके । संक्षेप में, पुस्तकालय वही श्रेष्ठ है जो पाठक अतिथियों का मनोरंजन कर सके और पुस्तकालयाध्यक्ष भी वही श्रेष्ठ है, जो अपने अतिथियों को सन्तुष्ट कर सके ।
एक अच्छे पुस्तकालय का संयोजन 
(i) पुस्तकों का चयन
(ii) पुस्तकालय के लिए कमरा तथा उपयुक्त सामग्री
(iii) पुस्तकालयाध्यक्ष
(iv) पुस्तकालय नियमावली
(v) सूची-पत्र
(vi) प्रचार

पुस्तकों का चयन – शिक्षालय के पुस्तकालय की पुस्तकों के सम्बन्ध में विशेष बात पुस्तकों के ‘चयन’ की है, न कि उनके ‘संग्रह’ की। स्कूल का पुस्तकालय एक लघु समाज की सेवा करता है और साधारणतया सीमित-सी धनराशि से चलाया जाता है। इसकी आवश्यकताएँ तो असीम हैं ही, परंतु इनकी पूर्ति का क्षेत्र जहाँ से पुस्तकों का चयन किया जाता है, वह तो और भी बड़ा है । अतः प्रमुख कार्य तो चुनाव का है । ऐसी सामग्री चुनी जाए जो अत्यनत आवश्यक है, अत्यन्त लाभदायक है तथा जो स्थायी महत्व की है । पुस्तकें केवल अलमारी को सजाने के लिए ही न हों अपितु सोच-समझकर रखी गयी हों, जिनमें एक भी पुस्तक ऐसी न हो, जो पुस्तकालय के उद्देश्य की दृष्टि से बेकार हो । अतः चुनाव करते समय उन बच्चों की आयु, उनकी मनोवैज्ञानिक रुचियों तथा उनकी आवश्यकताओं का पूर्ण ध्यान रखा जाना चाहिए, जिनके लिए कि पुस्तकें खरीदी जायें ।

पुस्तकों का वर्गीकरण निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है –

(i) छोटे बच्चों के लिए पुस्तकें- रंग-बिरंगी तस्वीरों वाली पुस्तकें हों, जो बच्चों का ध्यान आकर्षित कर सकें । पुस्तकों के आवरण-पत्र चटकीले रंगों वाले हों, जिनसे आकर्षित होकर बच्चे उन आवरणों वाली पुस्तकों को हाथ में पकड़ने के लिए उत्सुक हों और इसी बहाने उन्हें पढ़ें । फीके रंगों तथा भद्दी जिल्दों वाली पुस्तकें विकर्षण पैदा करती हैं। पुस्तकों में चित्रों की बहुतायत हो । चित्रों का रंग शोख हो तथा उनके डिजाइन अच्छे हों ।

(ii) बड़े बच्चों के लिए पुस्तकें –

(क) साहस तथा भ्रमण, खोज तथा आविष्कारों से सम्बन्धित कहानियों की पुस्तकें ।
(ख) महापुरुषों तथा महान नारियों की जीवन-गाथाएँ
(ग) व्यंग्यात्मक कथाओं तथा हास्य रस की पुस्तकें ।
(घ) सहायक पाठ्य-पुस्तकें ।
(ङ) विभिन्न विषयों की पुस्तकें ।
(च) स्रोत पुस्तकें (Source Books) ।
(छ) शब्दकोष ।

एक पुस्तकालय समिति का निर्माण किया जाए । इस समिति के सदस्यों की पुस्तकों के प्रति प्रेम होना चाहिए । पुस्तक समीक्षा करने तथा पढ़ने की क्षमता हो एवं पुस्तकें निश्चित करने की कुशलता हो । इस समिति के इस प्रकार के कार्य होने चाहिए ।

(iii) अध्यापकों के लिए पुस्तकें – इसके अन्तर्गत निम्नलिखित पुस्तकें आती हैं।

(क) प्रसंग निर्देश पुस्तकें (Reference Books) जैसे शब्दकोष, विश्वकोष एटलस, वार्षिकी (Year Book) आदि ।
(ख) विभिन्न विषयों पर उपयुक्त स्तरीय पुस्तकें ।
(ग) शिक्षा एवं शिक्षण पद्धति सम्बन्धी पुस्तकें ।

पुस्तकालय कक्ष तथा उसकी सामग्री – इस सम्बन्ध में श्री एस. आर. रंगनाथन लिखते हैं कि “पुस्तकालय सुन्दर, रंग-बिरंगी पुस्तकों से सजा हुआ हो, रंग-बिरंगे फूलों से आकर्षक बनाया गया हो । उसमें बहुत अच्छा आरामदायक फर्नीचर भी हो तथा एक ऐसा पुस्तकालय हो जो बच्चों और पुस्तकों से समान रूप से प्यार करता हो ।” माध्यमिक शिक्षा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पुस्तकालय शिक्षालय का सबसे अधिक आकर्षक स्थान हो ताकि बच्चे स्वभावतया ही उस ओर आकर्षित हों। कमरे की दीवारों पर आकर्षक रोगन या रंग किया गया हो तथा कमरे में स्थान-स्थान पर अच्छी-अच्छी पेंटिंग लगी हों, रंगीन तस्वीरें लगी हों तथा कमरा फूलों की खुशबू से महक रहा हो । कमरे के फर्नीचर का डिजाइन बढ़िया हो तथा वह पुस्तकालय की आवश्यकताओं के अनुसार ही बनाया जाए। बच्चों में यह भाव उत्पन्न करने के लिए पुस्तकालय उनका अपना है, इसकी सजावट में बच्चों से अधिकाधिक सहयोग प्राप्त किया जाए ।

पुस्तकालय कक्ष में निम्नलिखित बातों का होना जरूरी है –

  1. कमरा जिसका नाम 20 × 30 फुट से कम न हो ।
  2. पुस्तकालय में कम से कम एक कक्षा के बैठने का स्थान अवश्य होना चाहिए ।
  3. मेजों एवं कुर्सियों की लम्बाई-चौड़ाई छात्रों के अनुरूप हो। मेजें स्थायी और विश्रामदायक होनी चाहिए ।
  4. हॉल में प्रकाश का पूरा प्रबंध हो ।
  5. पुस्तकालय का वातावरण पढ़ाई के उपयुक्त हो ।
  6. पुस्तकालय कक्ष में वायु के लिए अनेक खिड़कियाँ हों ताकि ताजी हवा आ सके ।
  7. नक्शे रखने के लिए स्टैण्ड हों ।
  8. काउण्टर अवश्य हो ।
  9. पुस्तकालय में अलमारियाँ पर्याप्त हों तथा शीशे की हों । वे कलात्मक, रंगदान तथा वार्निश वाली हों ।
  10. पुस्तकालय की आन्तरिक शोभा हो । शोभा बढ़ाने के लिए विभिन्न वस्तुएँ लटकायी जा सकती हैं ।

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